निर्यात में वृद्धि, स्थानीय मुद्रा में व्यापार, FTA से भारत-रूस वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा: जीटीआरआई

punjabkesari.in Thursday, Jul 18, 2024 - 02:59 PM (IST)

नई दिल्लीः निर्यात बढ़ाने, स्थानीय मुद्रा व्यापार को व्यावहारिक बनाने और यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता जैसे कदमों से भारत और रूस के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि भारत को व्यापार घाटे को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसे रूस से बाजार मूल्य से सस्ते दाम पर कच्चा पेट्रोलियम तेल मिल रहा है। इससे भारत का समग्र तेल आयात बिल भी कम हो रहा है। 

फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने तथा अमेरिका द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से भारत और रूस के बीच व्यापार संबंधों में काफी बदलाव आया है। रूस से आयात में तीव्र वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया, वित्त वर्ष 2020-21 और 2023-24 में निर्यात 59 प्रतिशत बढ़ा, जबकि आयात में करीब 8,300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। व्यापार घाटा 2020-21 में युद्ध से पहले के 2.8 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़कर वर्तमान में 57.2 अरब अमरीकी डॉलर हो गया है। इसमें कहा गया कि आयात में यह वृद्धि भारत द्वारा अनुकूल व्यापार शर्तों से प्रभावित होकर रूस से कच्चे तेल की रणनीतिक खरीद तथा पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस की नए बाजार खोजने की आवश्यकता के कारण है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आठ-नौ जुलाई को रूस यात्रा के दौरान भारत और रूस ने 2030 तक 100 अरब डॉलर का महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य तय किया है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि 2023-24 में मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार 65.7 अरब डॉलर होने के साथ यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। 2023-24 में रूस को भारत का निर्यात 4.3 अरब अमरीकी डॉलर था, जबकि कच्चे तेल से प्रेरित आयात 61.4 अरब अमरीकी डॉलर था। आयात में कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी 88 प्रतिशत थी। भारत रूस को विविध प्रकार के उत्पाद निर्यात करता है जिनमें स्मार्टफोन, झींगा, दवा, मांस, टाइलें, कॉफी, हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर के कलपुर्जे, रसायन, कंप्यूटर और फल शामिल हैं।  
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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