विदेश व्यापार नीति में छोटे और मझोले एक्सपोर्टर्स को राहत
punjabkesari.in Wednesday, Dec 06, 2017 - 09:01 AM (IST)
नई दिल्लीः विदेश व्यापार नीति (एफ.टी.पी.) की बहुप्रतीक्षित मध्यावधि समीक्षा में आज बड़ा फैसला लिया गया है। बैठक में छोटे और मझोले क्षेत्र के एक्सपोर्टर्स के लिए MEIS (मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम) के तहत ड्यूटी में 2 फीसदी रियायत बढ़ाई गई है। रोजगार देने वाले सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जाएगा। मध्यावधि समीक्षा जारी होने के अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, विदेश व्यापार महानिदेशक अतुल चतुर्वेदी, वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया और राजस्व सचिव हसमुख अधिया मौजूद रहे।
MEIS incentives rate increased by 2% across the board for labour intensive/MSME sectors. Annual Incentive increased by Rs 8,450 cr (34%). Benefits to Leather, Handicrafts, Carpets, Sports goods, Agriculture, Marine, Electronic Components, Project Exports @sureshpprabhu @DoC_GoI
— DGFT (@dgftindia) December 5, 2017
रोजगार देने वाले सेक्टर को मिलेगा फायदा
बैठक के फैसले के अनुसार रोजगार देने वाले सेक्टर को भी फायदा मिलेगा। चमड़ा क्षेत्र के लिए 749 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन, हाथ से बने रेशम के कालीन और जूट से बने उत्पादों के लिए 921 करोड़, कृषि उत्पादों के लिए 1354 करोड़, समुद्री उत्पादों के लिए 759 करोड़, दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए 369 करोड़, चिकित्सा उपकरणों के लिए 193 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन दिया जाएगा।
निर्यात को बढ़ावा देना मुख्य मकसद
सुरेश प्रभु ने कहा कि एफ.टी.पी. में मुख्य जोर नए बाजारों और उत्पादों की संभावनाएं तलाशना और परंपरागत बाजारों तथा उत्पादों के निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि निर्यात वृद्धि में अब उल्लेखनीय सुधार दिख रहा है। पिछले 14 में से 13 महीनों में निर्यात वृद्धि सकारात्मक रही है। पांच साल की विदेश व्यापार नीति की घोषणा एक अप्रैल, 2015 को हुई थी। इसमें 2020 तक देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 900 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा मौजूदा दो से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
पहले 1 जुलाई को GST के साथ होनी थी समीक्षा
पहले एफ.टी.पी. की मध्यावधि समीक्षा एक जुलाई को जी.एस.टी. के क्रियान्वयन के साथ की जानी थी। हालांकि, उस समय इसे टाल दिया गया था क्योंकि सरकार इसमें जी.एस.टी. के क्रियान्वयन के बाद निर्यातकों के अनुभव को शामिल करना चाहती थी।