करोड़ों UPI यूजर्स के लिए राहत, अब फेल हुए Transactions का रिफंड होगा और भी तेज

punjabkesari.in Saturday, Feb 15, 2025 - 01:08 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश के करोड़ों UPI यूजर्स के लिए राहत की खबर है। अब फेल हुए UPI ट्रांजैक्शन या अटके हुए पैसों के रिफंड के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने चार्जबैक अनुरोधों की स्वीकृति और अस्वीकृति प्रक्रिया को ऑटोमेटेड कर दिया है। इससे बैंकिंग प्रक्रिया तेज होगी और रिफंड जल्द जारी किया जाएगा। पहले ग्राहकों को बैंक में शिकायत दर्ज करानी पड़ती थी और रिफंड की प्रक्रिया में समय लगता था लेकिन अब यह पहले से अधिक तेज और प्रभावी हो गया है।

10 फरवरी को जारी किया गया सर्कुलर

10 फरवरी, 2025 को जारी एक सर्कुलरमें एनपीसीआई ने कहा है कि नए नियम के तहत, लाभार्थी बैंकों द्वारा दाखिल किए गए ट्रांजेक्शन क्रेडिट कन्फर्मेशन (टीसीसी) या रिटर्न रिक्वेस्ट (आरईटी) के आधार पर चार्जबैक अनुरोध या तो ऑटोमेटेड रूप से स्वीकार या अस्वीकार कर दिए जाएंगे। TCC या RET लेन-देन की स्थिति के बारे में संचारक के रूप में कार्य करता है, यह दर्शाता है कि पैसा लाभार्थी बैंक के पास है या नहीं। यदि पैसा पहले से ही लाभार्थी बैंक के पास है, तो लेन-देन सफल माना जाता है और चार्जबैक अनुरोध की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर किसी कारण से लाभार्थी बैंक में पैसा जमा नहीं किया जा सका, तो इसे प्रेषक बैंक के ग्राहक को वापस कर दिया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में पहले मैन्युअल मिलान शामिल था। अब इसे ऑटोमेटेड कर दिया गया है। 

आज से ऑटोमेटेड प्रक्रिया शुरू हुई 

विशेषज्ञों का कहना है कि UPI ट्रांजैक्शन फेल होने की स्थिति में सहज और प्रभावी बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। नई ऑटोमेटेड प्रक्रिया 15 फरवरी, 2025 यानी आज से शुरू हो रही है। संशोधित चार्जबैक प्रक्रिया के लागू होने से स्थिति और बेहतर होगी। अक्सर, यूपीआई द्वारा स्वीकृत माने जाने वाले लेन-देन पर लाभार्थी बैंकों द्वारा कार्रवाई करने से पहले ही प्रेषण बैंकों द्वारा चार्जबैक शुरू कर दिया जाता है, क्योंकि वर्तमान प्रक्रिया प्रेषण बैंकों को यूआरसीएस में टी+0 से आगे चार्जबैक बढ़ाने की अनुमति देती है, जिसके कारण लाभार्थी बैंकों को विवाद के चार्जबैक का रूप लेने से पहले रिटर्न (आरईटी)/टीसीसी को समेटने और सक्रिय रूप से संसाधित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां लाभार्थी बैंकों ने आरईटी बढ़ा दिया है और रिटर्न की स्थिति की जांच नहीं की है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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