RBI ने सरल किए नियम, बैंकिंग सिस्टम में आएंगे 2 लाख करोड़

punjabkesari.in Friday, Sep 28, 2018 - 11:01 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) में और राहत प्रदान की ताकि देश के मुद्रा बाजारों के सामने खड़े तरलता संकट को कुछ हद तक कम किया जा सके। इस कदम से बाजार में शॉर्ट टर्म में लिक्विडिटी बढ़ सकती है और सिस्टम में 2 लाख करोड़ रुपए तक आ सकते हैं। रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि बैंक अपनी तरलता जरूरतों को पूरा करने के लिए एसएलआर में रखी अपनी जमाओं में से 15 फीसदी तक निकाल सकते हैं, जिससे वे तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) को पूरा कर सकें। अभी यह 13 फीसदी है।

बयान में कहा गया है कि बैंकों को अपना तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) कायम रखने के लिए उनकी जमा से 13 फीसदी तक नकदी निकालने की सुविधा होगी। अभी यह 11 फीसदी है। आरबीआई ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों को ऋण देने को लेकर बैंकों की चिंताएं बढ़ रही हैं और तरलता के कड़े हालात को लेकर चिंता का माहौल है। आरबीआई ने कहा, ‘‘व्यवस्था में टिकाऊ तरलता जरूरतों को पूरा करने के वह तैयार है और विभिन्न उपलब्ध विकल्पों के माध्यम से वह इसे सुनिश्चित करेगा। यह उसके बाजार हालातों और तरलता का लगातार आकलन करने पर निर्भर करेगा।’’ पिछले कुछ दिनों में सक्रियता से उठाए गए कदमों के बारे में आरबीआई ने कहा कि 19 सितंबर को उसने खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का लेन-देन (ओएमओ) किया था। साथ ही तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के सामान्य प्रावधान के अतिरिक्त रेपो के माध्यम से अतिरिक्त तौर पर तरलता के लिए उदार तरीके से जान फूंकने की कोशिश की थी।

आरबीआई ने कहा कि खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त दोबारा से गुरुवार को की जा सकती है ताकि व्यवस्था में पर्याप्त तरलता को सुनिश्चित किया जा सके। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि 26 सितंबर को रेपो के माध्यम से बैंकों ने रिजर्व बैंक से 1.88 लाख करोड़ रुपए की सुविधा प्राप्त की। ‘‘परिणामस्वरूप व्यवस्था में पर्याप्त से अधिक तरलता मौजूद है।’’ रिजर्व बैंक ने घोषणा की सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में जरूरी राहत एक अक्तूबर 2018 से प्रभावी होगी। 


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Supreet Kaur

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