नोटबंदी के दो सालः RBI ने काला धन और नकली नोट ख़त्म करने के तर्क पर नहीं दी थी सहमति

punjabkesari.in Friday, Nov 09, 2018 - 12:50 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः दो साल बीत जाने के बाद नोटबंदी के ऐलान से ठीक पहले हुई बैठक की डिटेल पहली बार सामने आई है। इससे यह बात साफ हुई है कि नोटबंदी की घोषणा से लगभग चार घंटे पहले बुलाई गई बैठक में उस सरकारी दावों को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी से कालेधन और नकली करंसी पर रोक लग जाएगी। हालांकि, रिजर्व बैंक ने नोटबंदी को हरी झंडी दी थी। साथ ही, यह भी अंदेशा भी जता दिया था कि इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

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2 साल पहले की थी घोषणा
बता दें कि दो साल पहले 8 नवंबर, 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइव टेलिकास्ट में अपने संदेश में कहा था कि नोटबंदी लागू करने से काले धन और नकली नोटों पर रोक लगाई जा सकेगी। आरबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 561वीं बैठक नोटबंदी के दिन शाम 5.30 बजे जल्दबाजी में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बैठक के मिनट्स ऑफ मीटिंग से इस बात का खुलासा होता है कि केंद्रीय बैंक ने नोटबंदी को सराहनीय कदम बताया था, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव को लेकर भी सरकार को आगाह किया था। इस बात का भी खुलासा हुआ है कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस मिनट्स ऑफ मीटिंग पर नोटबंदी लागू होने के करीब पांच हफ्ते बाद यानी 15 दिसंबर, 2016 को दस्तखत किए थे। आरबीआई बोर्ड ने नोटबंदी पर कुल छह आपत्तियां दर्ज कराई थीं, जिसे मिनट्स ऑफ मीटिंग में अहम मानते हुए रिकॉर्ड किया गया है।

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बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने सरकारी दावों पर जताई थी आपत्ति 
आरबीआई निदेशकों को वित्त मंत्रालय की तरफ से 7 नवंबर, 2016 को इस बावत प्रस्ताव मिला था, जिस पर बोर्ड डायरेक्टर्स ने सरकारी दावों पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उच्च मूल्य वाले (1000 और 500) करंसी नोट को प्रचलन से बाहर करने से न तो कालेधन पर रोक लग पाएगी और न ही नकली नोटों की रोकथाम हो सकेगी। मिनट्स ऑफ मीटिंग में वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए जस्टिफिकेशन की लिस्ट दी गई है। काले धन पर मंत्रालय ने व्हाइट पेपर में दर्ज बातें आरबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सामने रखे, जिसे बोर्ड ने मिनट्स में यूं दर्ज किया है - ''अधिकांश काला धन नकद के रूप में नहीं, बल्कि वास्तविक क्षेत्र की संपत्ति जैसे सोने या रियल एस्टेट के रूप में होता है और इस कदम से (नोटबंदी लागू किए जाने से) उन संपत्तियों पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं पड़ता है।''

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नकली नोट कुल 400 करोड़ रुपए
नकली नोटों पर मंत्रालय ने बोर्ड को सूचित किया कि 1,000 और 500 रुपए में इस तरह के नकली नोटों के 400 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। अपने तर्क में आरबीआई बोर्ड ने नोट किया कि जाली नोट देश के लिए चिंता का विषय हैं, लेकिन परिचालन में कुल मुद्रा के प्रतिशत के रूप में 400 करोड़ रुपए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है।

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अन्य काउंटर पॉइंट्स में आरबीआई बोर्ड ने दर्ज किया कि सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और बाजार में प्रचलित उच्च मूल्य के करंसी नोट की संख्या पर विचार तो किया, लेकिन मुद्रास्फीति की दर पर कोई विचार नहीं किया था। सरकार के इस तर्क और दावे पर बोर्ड ने अपनी मिनट्स ऑफ मीटिंग में लिखा है, ''सरकार ने अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का वास्तविक दर पर उल्लेख किया है, जबकि परिसंचरण में मुद्रा में वृद्धि मामूली है। मुद्रास्फीति के लिए समायोजित अंतर इतना कठिन नहीं हो सकता है। इसलिए, यह तर्क पर्याप्त रूप से सिफारिश का समर्थन नहीं करता है।''

बोर्ड ने यह भी लिखा है कि इस पर विचार किया गया है कि उच्च मूल्य के करंसी नोटों को वापस लेने से विशेष रूप से दो क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है: चिकित्सा और पर्यटन। इसलिए, यह इंगित किया गया कि प्राइवेट मेडिकल स्टोर को भी छूट मिलने वाले संस्थानों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। पर्यटकों को होने वाली समस्याओं को रिकॉर्ड करते हुए आरबीआई के निदेशकों ने नोट किया: ''लंबी दूरी के घरेलू यात्री जो केवल उच्च मूल्य वाले नोट ले जा रहे हैं, उन्हें रेलवे स्टेशनों / हवाई अड्डों पर टैक्सी ड्राइवरों और कुलियों को भुगतान के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इससे पर्यटकों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।'' 
 


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jyoti choudhary

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