किसानों की कर्जमाफी का रघुराम राजन ने किया विरोध, कहा- राजस्‍व पर पड़ता है असर

punjabkesari.in Saturday, Dec 15, 2018 - 02:27 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने किसानों की कर्जफाफी का विरोध किया है। उन्‍होंने कहा कि ऐसे फैसलों से राजस्व पर असर पड़ता है। राजन ने कहा, ''किसान कर्ज माफी का सबसे बड़ा फायदा सांठगाठ वालों को मिलता है। अकसर इसका लाभ गरीबों को मिलने की बजाए उन्हें मिलता है, जिनकी स्थिति बेहतर है।'' उन्होंने आगे कहा कि जब भी कर्ज माफ किए जाते हैं, तो देश के राजस्व को भी नुकसान होता है।

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी रैलियों में किसानों से वादा किया था कि अगर मध्य प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। वहीं मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा है कि वह जल्‍द ही वादे को पूरा करेंगे।

PunjabKesariपहले भी हो चुका है विरोध
यह पहली बार नहीं है जब किसानों की कर्ज माफी को लेकर विरोध हुआ है। इससे पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था तब भी विरोध हुआ था। तब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की तत्‍कालिन चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे। किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे एस.एस. मूंदड़ा भी शामिल थे।

PunjabKesari

आपको बता दें बीते लगभग 5 सालों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और पुदुचेरी की सरकारों ने कर्ज माफ किया है। वहीं साल 2008 में लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले यूपीए की सरकार ने 60 हजार करोड़ रुपए का किसानों का कर्ज माफ कर दिया था। तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट में इसकी घोषणा की थी। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपीए की जीत में इस घोषणा का बड़ा हाथ था।

PunjabKesari

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर सरकारी आदेशों बोझ कम करें: राजन
राजन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर सरकारी आदेशों और निर्देशों के बोझ को कम करने की जरूरत है। राजन ने कहा, ‘‘यह आलसी सरकार है, यदि कोई कार्रवाई करनी जरूरी है तो उसके लिए बजटीय प्रावधान होना चाहिए। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के छोटे शेयर धारकों के हितों के खिलाफ भी है।’’ उन्होंने कहा कि जो गतिविधियां जरूरी लगती हैं, उन्हें अंजाम देने के लिए सरकार को बैंकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सिर्फ कुछ बैंकों पर थोपा नहीं जाना चाहिए।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

jyoti choudhary

Recommended News

Related News