गुणवत्तापूर्ण बीज पर निर्भर है देश की खाद्य सुरक्षा: महापात्रा

punjabkesari.in Sunday, Jan 29, 2017 - 02:45 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने कहा है कि देश की खाद्य सुरक्षा बीज पर ही निर्भर है और भविष्य में भी यह बीज पर ही आधारित रहेगी। डॉ महापात्रा ने राष्ट्रीय बीज सम्मेलन और संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बीज सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि गांव के स्तर पर ही किसान बीजों का उत्पादन करें और पंचायत स्तर पर ही इसका प्रसंस्करण हो। उन्होंने कहा कि आईसीएआर और राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों ने अब तक फसलों के 8000 किस्मों के बीजों का विकास किया है तथा धान, गेहूं, दलहनों एवं तिलहनों के 1000 किस्मों के बीजों से उत्पादन किया जा रहा है।  

गुणवत्तापूर्ण बीजों के उपयोग से फसलों का उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत तक बढऩे की चर्चा करते उन्होंने कहा कि इसके बावजूद किसान सालाना 40 प्रतिशत बीजों को ही बदलते हैं। सही समय पर और उचित मात्रा में बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित हो तो खाद्य सुरक्षा पर आंच नहीं आ सकती है। यदि इस व्यवस्था में त्रुटि आती है तो फसल उत्पादन प्रभावित होता है।

डॉ महापात्रा ने फसलों की कुछ किस्मों के बीज नहीं बदले जाने पर उसके उत्पादन पर हो रहे प्रतिकूल प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि किसान दलहनों के मात्र 10 प्रतिशत बीजों को ही बदलते हैं। चारा फसलों के बीजों में मुश्किल से ही बदलाव आता है।  उन्होंने कहा, ''अब हम दूसरे देशों को भी बीज से संबंधित ज्ञान दे सकते हैं। दूसरे देशों की बीज व्यवस्था को दुरूस्त करने के बारे में सोचने की जरूरत है। अफ्रीकी देशों में इसके प्रति उत्सुकता है।'' उन्होंने आईसीएआर में बीज उत्पादन के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे गुणवत्तापूर्ण बीज तैयार किए जा सकेंगे।
 

आईसीएआर के संयुक्त निदेशक के वी प्रभु ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों में बीमारियां बढ़ी हैं। इसकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि जिन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर कम हो ऐसे क्षेत्रों में बीज उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही जैविक विधि से बीजों का उत्पादन हो ताकि फसलों पर बीमारियों का असर कम हो।  डॉ प्रभु ने बीजों के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भगीदारी की चर्चा करते हुए कहा कि किसान 40 से 60 प्रतिशत बीज निजी कंपनियों से लेते हैं। ऐसे में भारतीय कानूनों के अनुरुप विदेशी कंपनियों के बीज उत्पादन के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन हो सके।  
 


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