दाल-आलू-प्याज अब नहीं रही जरूरी चीजें, राज्यसभा में पास हुआ आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
punjabkesari.in Tuesday, Sep 22, 2020 - 05:08 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः संसद के दोनों सदनों में आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल पास हो गया है। इसके पास होने के बाद अब अनाज, दलहन, आलू, प्याज, खाद्य तेल जैसी चीजें आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में नहीं होंगी। दरअसल लोकसभा ने 15 सितंबर 2020 को आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी मिली थी। अब यह राज्यसभा से भी पास हो गया है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल में बदलाव से अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य सामग्री एक्ट से बाहर हो गई हैं। इसका मतलब साफ है कि इन सभी कृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा और किसान अपने हिसाब से मूल्य तय कर आपूर्ति और बिक्री कर सकेंगे। हालांकि, सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहेगी। जरूरत पड़ने पर नियमों को सख्त किया जा सकता है।
1955 में बने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के जरिए सरकार 65 साल से इन वस्तुओं की बिक्री, उत्पादन और आपूर्ति को नियंत्रित करती आ रही थीं लेकिन अब ये खुले बाजार के हवाले हैं। कृषि उत्पादों जैसे अनाज, खाद्य तेल, तिलहन दाल, प्याज और आलू कि डी-रेगुलेट कर दिया है यानि अब सरकार इनके बाजार भाव में भी हस्ताक्षेप नहीं करेगी।
निचले सदन में चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा था कि इस विधेयक के माध्यम से कृषि क्षेत्र में संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाया जा सकेगा, किसान मजबूत होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में कारोबार अनुकूल माहौल बनाने और वोकल फार लोकल को मजबूत बनाया जाएगा।
हालांकि विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। विपक्ष ने केंद्र सरकार से इसे वापस करने की मांग की। माना जा रहा है कि इस बिल के पास होने से निजी निवेशकों को नियामकीय हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी। इस विधेयक के माध्यम से कृषि क्षेत्र में संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाया जा सकेगा, किसान मजबूत होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
क्या है एसेंशियल कमोडिटी एक्ट?
इस एक्ट के तहत जो भी चीजें आती हैं केंद्र सरकार उनकी बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को कंट्रोल करती है। उसका अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय कर देती है। कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिसके बिना जीवन व्यतीत करना मुश्किल होता है। ऐसी चीजों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल किया जाता है।
केंद्र सरकार को जब भी यह पता चल जाए कि एक तय वस्तु की आवक मार्केट में मांग के मुताबिक काफी कम है और इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है तो वो एक निश्चित समय के लिए एक्ट को उस पर लागू कर देती है। उसकी स्टॉक सीमा तय कर देती है, जो भी विक्रेता इस वस्तु को बेचता है, चाहे वह थोक व्यापारी हो, खुदरा विक्रेता या फिर आयातक हो, सभी को एक निश्चित मात्रा से ज्यादा स्टॉक करने से रोका जाता है ताकि कालाबाजारी न हो और दाम ऊपर ना चढ़ें।