दम तोड़ रही है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

punjabkesari.in Monday, Dec 18, 2017 - 09:47 AM (IST)

नई दिल्लीः किसानों को फसलों के नुक्सान से बचाने के लिए जोर-शोर से शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अब तक सही मैकेनिज्म न बन पाने के कारण ट्रैक पर नहीं आ पाई है और 3 साल बाद भी दम तोड़ती नजर आ रही है। इस योजना के तहत फसलों का बीमा कराने वाले किसानों का क्लेम एक साल से ज्यादा समय से नहीं मिला है।

किसानों के लिए सिर्फ एक छलावा साबित
बीमा कंपनियों को खरीफ  2017 का किसानों का डाटा अब तक नहीं मिल पाया है। इसकी वजह से खरीफ सीजन में हुए फसल के नुक्सान का क्लेम करने वाले किसानों को क्लेम मिलने में देरी हो सकती है। वहीं इसका असर रबी सीजन पर भी पड़ सकता है। ऐसे में मोदी सरकार के दावों के विपरीत यह स्कीम भी किसानों के लिए सिर्फ एक छलावा साबित हो रही है।

क्लेम में देरी का रबी की फसल पर होगा असर
राज्यों की ओर से सबसिडी का भुगतान होने के बाद ही केंद्र सरकार अपने हिस्से की सबसिडी देगी। राज्यों की ओर से सबसिडी जब तक नहीं मिलेगी तब तक हम क्लेम का भुगतान नहीं कर सकते। अधिकारी का कहना है कि अगर किसान को अपने नुक्सान का क्लेम समय पर नहीं मिलेगा तो वह अगली फसल की तैयारी कैसे करेगा? यानी इसका असर रबी सीजन की फसल पर भी होगा। ऐसे में खुद से फसल बीमा खरीदने वाले किसान भी इस योजना से दूर हो सकते हैं। अब तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस योजना के दायरे में आने वाले 90 फीसदी किसान ऋण लेने वाले हैं। लोन लेने वाले किसानों के लिए यह योजना अनिवार्य है।

खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के रिकॉर्ड स्तर पर
कृषि क्षेत्र में इस साल भी पिछले वर्ष का रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन हासिल हो सकता है। वर्ष 2017-18 के दौरान अच्छी वर्षा से खाद्यान्न उत्पादन 27.5 करोड़ टन के आंकड़े के आसपास रह सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कृषि उपज का दाम समर्थन मूल्य से नीचे आता है, तो किसानों की दिक्कत बढ़ सकती है। कम कीमतों की वजह से दबाव झेल रहे किसानों को राहत देते हुए महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने किसानों का 90,000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने की घोषणा की है। हालांकि, केंद्र ने भी उनकी अल्पावधि दिक्कतों को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं। विशेषज्ञों ने चेताया है कि कृषि क्षेत्र में संकट बढ़ रहा है। बंपर फसल उत्पादन के बावजूद पिछले 2 साल में किसानों की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र को कृषि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिएं जिससे किसानों को संकट से बचाया जा सके।
 


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