58 डॉलर तक जा सकता है क्रूड, पैट्रोल-डीजल की कीमतों में आएगा उछाल

Monday, Dec 12, 2016 - 12:36 PM (IST)

नई दिल्लीः ओपेक देशों की ओर से 30 नवंबर को क्रूड प्रोडक्शन कटौती पर सहमति बनने के बाद से ही क्रूड की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। अब नॉन ओपेक देश भी क्रूड प्रोडक्शन में कटौती करने पर राजी हो गए हैं। इससे क्रूड कीमतों में आगे और तेजी देखने को मिलेगी। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि क्रूड 58 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच सकता है। इसका असर देश में पैट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ौतरी के रूप में दिखाई दे सकता है। एविएशन कंपनियां भी किराए में 5 फीसदी तक की बढ़ौतरी कर सकती हैं। हालांकि इंडियन ऑयल और भारत पैट्रोलियम को रिफाइनिंग मार्जिन बढ़ने से फायदा होगा।

क्रूड की कीमतों में आएगी तेजी
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने बताया कि ओपेक और नॉन ओपेक देशों में प्रोडक्शन कम करने पर सहमति जताने से क्रूड की कीमतें संभलेंगी। लेकिन, दूसरी ओर अमरीका के नए राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐसा कैबिनेट बनाने का फैसला किया है, जिससे वहां क्रूड का प्रोडक्शन बढ़ाया जा सके। प्रोडक्शन बढ़ने पर क्रूड की सप्लाई भी बढ़ेगी। ऐसा होने पर क्रूड की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल तक नहीं पहुंच पाएंगी, जैसा कि कुछ एक्सपर्ट अनुमान लगा रहे हैं। तनेजा के अनुसार, अागे क्रूड 58 यूएस डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। हालांकि, अगले कुछ महीनों तक यह 46 से 58 यूएस डॉलर के बीच रहेगा। फिलहाल अभी कुछ दिनों तक क्रूड में तेजी आएगी।

पैट्रोल की कीमतों में आ सकता है बड़ा उछाल
क्रूड महंगा होने से तेल कंपनियों का रिफाइनिंग मार्जिन बढ़ेगा। क्रेडिट रेटिंग्स एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार अगर ग्लोबल मार्कीट में क्रूड की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचती हैं तो देश में पैट्रोल की कीमतें 80 रुपए प्रति लीटर और डीजल 68 रुपए प्रति लीटर तक जा सकती है। अभी ग्लोबल मार्कीट में क्रूड 55 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। जबकि, इंडियन बास्केट के क्रूड की कीमतें शुक्रवार को 51 डॉलर प्रति बैरल पर थीं। हालांकि क्रिसिल का अनुमान है कि साल 2017 के पहले 6 महीनों में तेल की कीमतें 50 से 55 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी।

एविएशन कंपनियां बढ़ा सकती हैं किराया
लोकेश उप्पल का कहना है कि क्रूड की कीमतों में और उछाल आने से जेट एयरवेज और स्पाइसजेट जैसी कंपनियां 5 फीसदी तक किराया बढ़ा सकती हैं। क्रूड महंगा होने से इन्हें महंगा एटीएफ उपलब्ध होगा। एयरलाइंंस कंपनियों की कुल लागत में एटीएफ का हिस्सा 45-48 फीसदी तक होता है।

एफएमसीजी प्रोडक्ट्स होंगे 20-30% महंगे
एफएमसीजी प्रोडक्ट बनाने की कुल लागत में 20 से 30 फीसदी क्रूड का इस्तेमाल होता है। ऐसे में क्रूड के दाम बढ़ते हैं तो एफएमसीजी कंपनियां रोजमर्रा में काम आने वाले प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ा सकती हैं। वहीं, एशियन पेंट्स और बर्जर पेंट्स जैसी पेंट कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट को कुछ महंगा कर सकती हैं। इन कंपनियों के रॉ मैटेरियल में भी क्रूड का हिस्सा 20 से 25 फीसदी तक होता है।

सिंथेटिक रबर भी होगी महंगी
ओपेक देशों द्वारा प्रोडक्शन कम करने पर सहमति बनने से क्रूड और महंगा हो सकता है। क्रूड महंगा होने से टायर कंपनियों को मिलने वाला सिंथेटिक रबर और कार्बन ब्लैक भी महंगा हो जाता है। ये क्रूड ऑयल से तैयार किए जाते हैं। ऐसे में लगात बढ़ने से अपोलो टायर्स, सीएट और जेके टायर्स जैसी टायर कंपनियों के प्रोडक्ट भी महंगे हो सकते हैं।

इन कंपनियों को हो सकता है फायदा
क्रूउ महंगा होने से एविएशन कंपनियां किराए में 5 फीसदी बढ़ौतरी कर सकती हैं। क्रूड महंगा होता है तो इंडियन ऑयल और भारत पैट्रोलियम जैसी कंपनियों का रिफाइनिंग मार्जिन भी बढ़ जाएगा। इससे उन्हें फायदा होगा। वहीं क्रूड खोजने वाली कंपनियों ओएनजीसी और केयर्न इंडिया और ऑयल इंडिया को भी फायदा होगा। हालांकि, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसी कंपनियों को कुछ नुकसान हो सकता है।

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