ONGC की KG तेल, गैस परियोजना में देरी, देश को होगा 18,000 करोड़ की विदेशी मुद्रा का नुकसान

punjabkesari.in Sunday, Nov 14, 2021 - 03:39 PM (IST)

नई दिल्लीः ऐसे समय में जब कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं, सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ओएनजीसी की बेतरतीब योजना और ‘शोपीस' बन चुके गहरे पानी के केजी-डी5 ब्लॉक को विकसित करने में कुप्रबंधन की कीमत देश को चुकानी पड़ रही है। सरकारी अधिकारियों ने यह बात कही। उनका कहना है कि तेल और गैस उत्पादन में देरी के कारण देश को 18,000 करोड़ रुपए का विदेशी मुद्रा का नुकसान उठाना पड़ेगा। 

ओएनजीसी को शुरुआत में जून, 2019 तक केजी डीडब्ल्यूएन-98/2 (केजी-डी5) ब्लॉक में क्लस्टर- दो क्षेत्रों से गैस उत्पादन शुरू करना था और तेल उत्पादन मार्च, 2020 में शुरू होना था। इस मामले की सीधी जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इन लक्ष्यों को चुपचाप 2021 के अंत तक के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। ऐसा इस परियोजना से जुड़े कुछ ठेके देने में हुई देरी के चलते हुआ। इसके बाद इंटरफेस से जुड़े मुद्दों के कारण परियोजना को और पीछे धकेल दिया गया है। 

उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के संशोधित लक्ष्य नवंबर, 2021 की जगह अब 2022 की तीसरी तिमाही में भारतीय तटों तक पहुंचने की उम्मीद है। इसी तरह प्राकृतिक गैस मई, 2023 तक मिल सकेगी, जबकि इसका संशोधित लक्ष्य मई, 2021 था। उन्होंने बताया कि क्लस्टर दो से तेल निकासी 47,000 बैरल प्रतिदिन या 20 लाख टन प्रतिवर्ष और गैस उत्पादन 60 लाख घन मीटर प्रतिदिन या 2.2 अरब घनमीटर प्रतिवर्ष होने का अनुमान है। इस तरह उत्पादन में देरी के चलते कुल मिलाकर देश को 18,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च करनी होगी। 

ओएनजीसी ने हालांकि इस खबर पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुभाष कुमार ने शनिवार को निवेशकों के साथ एक वार्ता के दौरान कहा कि परियोजना ‘‘आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान'' से प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि वह उत्पादन शुरू करने के लिए कोई समयरेखा नहीं बता सकते, क्योंकि मलेशिया और सिंगापुर में महामारी संबंधी प्रतिबंध जारी हैं, जिससे परियोजना के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति में देरी हो रही है। 


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Content Writer

jyoti choudhary

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