रुपए को सहारे के लिए एनआरआई बॉन्ड!

punjabkesari.in Saturday, Sep 08, 2018 - 05:07 PM (IST)

मुंबईः रुपए की खस्ता हालत के बीच इसे मजबूती देने के लिए विशेष उपाय किए जाने की मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इस बीच चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.4 प्रतिशत हो गया है। पिछले वित्त की चौथी तिमाही में यह आंकड़ा 1.9 प्रतिशत रहा था। शुक्रवार को रुपए में पिछले सात दिनों से जारी गिरावट जरूर थमी और यह अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले 71.74 पर बंद हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 31 अगस्त तक महज 400 अरब डॉलर रह गया था। एनआरआई डॉलर डिपॉजिट स्कीम का जोर शोर से समर्थन करने वाले बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के बाद अब इसकी ब्रोकरेज इकाई सीएलएसए भी इस योजना की हिमायत कर रही है। 

सीएलएसए ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सरकारी अधिकारियों के साथ उसकी चर्चा में डॉलर डिपॉजिट स्कीम जैसे विशेष उपाय किए जाने पर विचार हो रहा था। सीएलएसए ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'अधिकारियों के साथ अगस्त के शुरू में हमारी मुलाकात हुई थी। सरकार विदेशी मुद्रा बॉन्ड या एनआरआई डिपॉजिट योजना जैसे उपाय कर सकती है। वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही में भी इसी तरह के उपाय किए गए थे।' हालांकि इस ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि नीति आयोग प्रमुख राजीव कुमार के अनुसार रुपये को उसके स्वाभाविक स्तर पर पहुंचने के लिए छोड़ देना चाहिए। ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार अगले साल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रुपए में गिरावट एक राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है और इसे थामने के लिए सरकार कुछ न कुछ उपाय कर सकती है। 

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के इंद्रनील सेनगुप्ता ने कहा कि अगर रुपया दिसंबर तिमाही में प्रति डॉलर 70 के स्तर पर बना रहता है तो सरकार और आरबीआई को 30 से 35 अरब डॉलर रुपये मूल्य के एनआरआई बॉन्ड जुटाना चाहिए। सेनगुप्ता ने कहा, 'हमारे विचार से आरबीआई द्वारा दरें बढ़ाए जाने से रुपये को नुकसान हुआ है।'  नोमूरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि दरें बढ़ाए जाने के बारे में पूछे जाने पर आरबीआई गवर्नर ने जून में कहा था कि मौद्रिक नीति का निर्धारण महंगाई के आंकड़ों से होता है। वर्मा के अनुसार इसका आशय यह था कि अगर रुपये का मूल्य ह्रास होने से महंगाई का खतरा पैदा हुआ तो आरबीआई दरें बढ़ाएगा। वर्मा का मानना है कि आरबीआई अक्टूबर और उसके बाद भी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरें बरकरार रख सकता है।  
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

jyoti choudhary

Recommended News

Related News