नोटबंदी की मार, 1962 के बाद बैंकों की लोन ग्रोथ निचले स्तर पर

punjabkesari.in Monday, Dec 26, 2016 - 10:22 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के चलते कारोबार कम होने के चलते कंपनियों ने लोन लेना कम कर दिया है, जबकि आम लोगों ने रोजमर्रा के सामान को छोड़कर दूसरी खरीदारी कम कर दी है। जिसके चलते लोन ग्रोथ घटकर 54 साल के लो लेवल पर पहुंच गई है। हालांकि, एचडीएफसी बैंक और ऐक्सिस बैंक ने यह दावा किया है कि कमजोर लोन ग्रोथ का सबसे बुरा दौर बीत चुका है। उनके मुताबिक, कैश की सप्लाई नॉर्मल होने और बिजनस सेंटीमेंट सुधरने के बाद लोन की मांग तेजी आएगी।

लोन की मांग में कमी  
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, 9 दिसंबर को खत्म हुए पिछले 15 दिनों में लोन ग्रोथ 6% से नीचे 5.8% पर चली गई। यह 1962 के बाद की सबसे कम ग्रोथ है। उस वक्त बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं हुआ था। 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को बैन किए जाने के बाद बैंकों के पास डिपॉजिट बढ़ा है। बैंक 13 लाख करोड़ से अधिक के डिपॉजिट पर ब्याज चुका रहे हैं, जबकि लोन की मांग बहुत कम हो गई है। एसबीआई जैसे कुछ बैंकों ने तो लोन ग्रोथ बढ़ाने के लिए इंट्रेस्ट रेट में कटौती भी की है, लेकिन अभी तक इसका बहुत असर नहीं हुआ है क्योंकि कंपनियां नोटबंदी की समस्या से जूझ रही हैं।

आने वाले समय में लोन हो सकता है सस्ता
एचडीएफसी बैंक के डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर परेश सुकथांकर के मुताबिक 'हालात सामान्य होने के बाद मार्च तिमाही से खुदरा लोन की मांग बढ़नी चाहिए। मुझे नहीं लगता है कि नोटबंदी का बहुत लंबे समय तक बैंकों की लोन ग्रोथ पर असर पड़ेगा।' बैंक लोन प्रोसेसिंग ऐप्लिकेशन को क्लीयर करने में भी सुस्ती बरत रहे हैं। उसकी वजह यह है कि उनका पूरा स्टाफ नोट बदली में लगा हुआ है। हालांकि, डिपॉजिट बढ़ने के चलते बैंकों के आने वाले समय में लोन सस्ता करने की उम्मीद है। इससे लोन ग्रोथ बढ़ाने में मदद मिलेगी, लेकिन कॉर्पोरेट सेगमेंट को दिया जाने वाला लोन का बिजनस सुस्त रह सकता है। इससे कंपनियों के नए प्रॉजेक्ट्स में निवेश रुक गया है। इन प्रॉजेक्ट्स को ट्रैक पर आने में अधिक समय लग सकता है।


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