RBI ने नहीं किया रेपो रेट में कोई बदलाव, दिसंबर तक करना होगा इंतजार

Wednesday, Oct 04, 2017 - 03:53 PM (IST)

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की दो दिवसीय बैठक में आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6 प्रतिशत पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। हालांकि आर.बी.आई. ने एस.एल.आर. 0.5 फीसदी घटाकर 19.5 फीसदी किया है। बैंक के इस कदम से सस्‍ते कर्ज का इंतजार और लंबा हो गया है।

अगली बैठक 5-6 दिसंबर को
आर.बी.आई. ने वित्त वर्ष 2018 के लिए जी.वी.ए. अनुमान 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी किया है वहीं सी.आर.आर. 4 फीसदी पर कायम है। रिजर्व बैंक ने अक्टूबर-मार्च में रिटेल महंगाई दर 4.2-4.6 फीसदी रहने का अनुमान दिया है। जनवरी-मार्च 2018 और अप्रैल-जून 2018 में रिटेल महंगाई दर 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है। जनवरी-मार्च 2019 में रिटेल महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। आर.बी.आई. की अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक 5-6 दिसंबर के दौरान होगी।

पिछली बैठक में घटाए थे रेपो रेट
अपनी पिछली बैठक में एम.पी.सी. ने रेपो रेट को 6.25 से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था जबकि रिवर्स रेपो रेट को 6 प्रतिशत से 5.75 प्रतिशत कर दिया था। यह दस महीने में पहली कटौती थी। इससे नीतिगत दर करीब सात साल के निचले स्तर पर आ गई।

समिति में शामिल हैं ये सदस्य 
मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल.ए. आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक मिशेल डी पात्रा इसके सदस्य हैं।

क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आर.बी.आई. कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।

रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आर.बी.आई. में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।    

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