इस म्यूचुअल फंड स्कीम ने निवेशकों को किया मालामाल, 1 लाख के बने ₹3.4 करोड़
punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2024 - 04:38 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः लंबी अवधि तक म्यूचुअल फंड योजना में निवेश करने से योजना के अंतिम वर्षों में पहले कुछ वर्षों की तुलना में बहुत ज्यादा रिटर्न मिलता है। यह इसलिए होता है क्योंकि पहले कुछ वर्षों में म्यूचुअल फंड द्वारा अर्जित रिटर्न को कोष में जोड़ा जाता है, जिससे योजना को अंतिम वर्षों में उच्च रिटर्न देने में मदद मिलती है। इसका एक उदाहरण HDFC ELSS Tax Saver योजना है। इस स्कीम के लॉन्च के समय इसमें निवेश करने वाले निवेशक अब करोड़पति बन गए हैं।
यह भी पढ़ेंः Investment in India: चीन छोड़ रहीं अमेरिकी कंपनियां, भारत में करेंगी लाखों करोड़ का निवेश
आपको बता दें कि अगर किसी निवेशक ने इस स्कीम में एक साल पहले ₹1 लाख का निवेश किया होता, तो AMC की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार, 31 जुलाई 2024 तक यह बढ़कर ₹1.45 लाख हो गया होता। वहीं, तीन साल पहले किया गया निवेश 26.62 प्रतिशत की दर से बढ़कर ₹2.03 लाख हो गया होता।
पांच साल की अवधि में यही निवेश बढ़कर 2.74 लाख रुपए हो गया होता। इसी तरह, अगर किसी निवेशक ने 31 मार्च, 1996 को इस स्कीम के लॉन्च के समय 1 लाख रुपए निवेश किया गया होता, तो वह अब बढ़कर 3.41 करोड़ रुपए हो गया होता।
इस म्यूचुअल फंड स्कीम के बारे में
यह स्कीम 31 मार्च, 1996 को लॉन्च हुआ था। इस स्कीम में टॉप 10 होल्डिंग्स आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, सिप्ला, भारती एयरटेल, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस और अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज हैं। न्यूनतम SIP 500 रुपए है। योजना की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) ₹16,422 करोड़ हैं।
यह भी पढ़ेंः भारत का RCEP में शामिल होने से इनकार, कहा- चीन के साथ व्यापारिक समझौता हित में नहीं
ऐसे चुनें बेस्ट म्यूचुअल फंड स्कीम
म्यूचुअल फंड स्कीम का चुनाव ही आपको बंपर रिटर्न दिलाने की कुंजी है। अगर आप सही फंड चुनेंगे तो ही वह बंपर रिटर्न देगा। इसलिए किसी भी स्कीम में पैसा लगाने के लिए फंड का चुनाव करने में काफी सावधानी बरतें। आप अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता को समझकर, ही फंड चुनें। म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के स्कीम उपलब्ध हैं, जिनमें इक्विटी फंड, डेट फंड, हाइब्रिड फंड और थीमैटिक फंड शामिल हैं। अपनी जरूरत के अनुसार फंड चुनें। इसके अलावा म्यूचुअल फंड के ऐतिहासिक प्रदर्शन को देखें। फंड मैनेजर और फंड हाउस के बारे में पता करें। फिर एक्सपेंस रेश्यो और एग्जिट लोड का आकलन करें।