देश में विनिर्माण गतिविधियां मई में थोड़ी नरम, PMI घटा
Friday, Jun 01, 2018 - 12:41 PM (IST)
नई दिल्लीः देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां मई महीने में थोड़ी नरम हुई हैं। इसका कारण नए कार्यों को लेकर आर्डर वृद्धि की गति का धीमा होना है। वहीं ऐसा जान पड़ता है कि मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में वृद्धि कर सकता है। निक्केई इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मई में घटकर 51.2 पर आ गया जो अप्रैल में 51.6 था।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री तथा रिपोर्ट की लेखिका आश्ना दोधिया ने कहा, ‘‘हालांकि पीएमआई नरम हुआ है लेकिन इसके बावजूद यह मई महीने में विनिर्माण क्षेत्र की सेहत में सुधार का संकेत देता है। उत्पादन, रोजगार और नए कारोबार में विस्तार की गति नरम रही। यह लगातार 10वां महीना है जब विनिर्माण पीएमआई 50 अंक से ऊपर बना हुआ है। पीएमआई का 50 से अधिक होने का मतलब विस्तार है जबकि इससे नीचे यह संकुचन को बताता है। कीमत मोर्चे पर मुद्रास्फीति दबाव फिर से उभरा है। इसका कारण वैश्विक स्तर पर तेल के दाम में तेजी से कच्चे माल की लागत तथा उत्पादन मुद्रास्फीति फरवरी से मजबूत बना हुआ है। अश्ना ने कहा, ‘‘भारत कच्चे तेल का शुद्ध आयातक है, यह भारत में सुधार खासकर निजी खपत को अस्थिर कर सकता है। साथ ही आईएचएस का मानना है कि तेल की ऊंची कीमत रुपए की विनिमय दर को कम करेगी तथा चालू खाते का घाटा बढ़ेगा।’’
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में करने तथा वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए यह संभावना है कि आरबीआई गर्मियों में नीतिगत दरों में वृद्धि करेगा। वित्त वर्ष 2018-19 में अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था और 6 फीसदी पर बरकरार रखा। मौद्रिक नीति समिति पिछले साल अगस्त से नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया है। इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग की रिपोर्ट के बीच भारतीय विनिर्माताओं ने फरवरी से निर्यात आर्डर में अच्छी वृद्धि की रिपोर्ट दी है। रोजगार मोर्चे पर कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई लेकिन नियुक्ति की गति धीमी रही। यह उत्पादन और नए आर्डर में नरम प्रवृत्ति को बताता है।