आकर्षक छूटें देने से साकार होगा लेस कैश अर्थव्यवस्था का सपना

punjabkesari.in Tuesday, Sep 05, 2017 - 04:45 PM (IST)

नई दिल्लीः अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) का कहना है कि सरकार को 2,500 करोड़ रुपए के डिजिटल लेनदेन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्राहकों तथा व्यापारियों के लिए कई प्रकार की आकर्षक छूट देने की घोषणा के साथ यूनीवर्सल एक्सेप्टेंस को बढ़ावा देना होगा। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने आज यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में डिजिटल लेनदेन की चुनौतियों और उनसे निपटने के लिए की गयी परिसंघ की सिफारिशों पर चर्चा करते हुए कहा कि देश में डिजिटल लेनदेन के प्रसार की राह में सबसे बड़ी चुनौती डिजिटल लेन-देन पर लगने वाला शुल्क है।

उन्होंने सवाल किया कि ग्राहक ज्यादा भुगतान करना क्यों पसंद करेंगे? अगर इस शुल्क का भार व्यापारियों पर डाला जाता है तो इससे उनका लाभ घटता है। दोनों स्थिति  में डिजिटल लेनदेन को नकदी लेनदेन की अपेक्षा कम तरजीह मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को कदम उठाना चाहिये। उनके मुताबिक सरकार को डिजिटल लेनदेन करने वाले ग्राहकों और व्यापारियों को कर छूट या अन्य ऐसे ही आकर्षक प्रस्ताव देने चाहिये।

लेनदेन पर लगने वाले शुल्क का भुगतान बैंकों मिले सीधा
कैट के अनुसार, सरकार को साथ ही डिजिटल लेनदेन पर लगने वाले शुल्क का भुगतान बैंकों को सीधे कर देना चाहिए। परिसंघ का कहना है कि देश में हर साल नोटों की छपाई पर 25,000 करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम खर्च की जाती है और फिर इसे बैंकों और एटीएम तक पहुंचाने में करीब पांच हजार करोड़ रुपए लगते हैं। अगर इसी रकम का कुछ हिस्सा बैंकों को डिजिटल लेनदेन पर लगने वाले शुल्क के रूप में दे दिया जाए जो डिजिटलीकरण को बढ़ावा देगा।

व्यापारी परिसंघ का यह भी कहना है कि सरकार को अगर 2,500 करोड़ रुपए के डिजिटल लेनदेन का सपना साकार करना है तो इसके लिए रिवार्ड स्कीम में सभी भुगतान प्रणाली को शामिल करना होगा। अभी डिजिटल लेनदेन मात्र 500-600 करोड़ रुपये का है और इसे तेजी से बढाने के लिए सभी भुगतान प्रणाली को रिवार्ड स्कीम में शामिल करना होगा। ऐसा नहीं करने के कारण डिजिटल लेनदेन करने वाला एक बड़ा तबका है जिनके पास डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड है, ठगा महसूस करता है।
 


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