कोरोना की मार! 41 लाख युवाओं की गई नौकरी, ILO-ADB की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 19, 2020 - 11:48 AM (IST)

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस महामारी की वजह से 41 लाख युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसमें निर्माण और कृषि सेक्टर में काम करने वाले युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और एशियाई विकास बैंक (ADB) की संयुक्त रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 युवा रोजगार संकट से निपटना शीर्षक से आईएलओ-एडीबी की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में 41 लाख युवाओं के बेरोजगार होने का अनुमान है। सात मुख्य क्षेत्रों में से निर्माण और कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोग बेरोजगार हुए हैं।

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रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी की वजह से युवाओं के रोजगार की संभावनाओं को भी बड़ा झटका लगा है। कोरोना के इस दौर में 15 से 25 साल के युवा और उससे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित होंगे। आईएलओ-एडीबी रिपोर्ट युवा और कोविड-19 पर वैश्विक सर्वे’ के क्षेत्रीय आकलन पर आधारित है। यह अनुमान अन्य देशों में उपलब्ध होने वाली बेरोजगारी आकंड़े के आधार पर लगाया गया है। देश में महामारी के दौरान कंपनी के स्तर पर दो तिहाई प्रशिक्षण (एप्रेन्टिसशिप) पर असर पड़ा और वहीं तीन चौथाई  ‘इंटर्नशिप’ पूरी तरह से बाधित हुए।

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66 करोड़ युवाओं के लिए उठाने होंगे उचित कदम
रिपोर्ट में सरकारों से युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पटरी पर लाने और 66 करोड़ युवा आबादी के भविष्य को लेकर निराशा को कम करने के लिए तत्काल, बड़े पैमाने पर लक्षित कदम उठाने का आह्वान किया गया है। कोरोना संकट से पहले एशिया और प्रशांत क्षेत्र में युवाओं के सामने रोजगार को लेकर चुनौतियां थी। जिसके चलते बेरोजगारी दर ऊंची थी और बड़ी संख्या में युवा स्कूल तथा काम दोनों से बाहर थे।

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75 फीसदी युवा गरीबी में जी रहे
साल 2019 में क्षेत्रीय युवा बेरोजगारी दर 13.8 फीसदी थी। वहीं वयस्कों (25 साल से ज्यादा) में यह दर  3 फीसदी थी। 6 करोड़ से अधिक युवा (आबादी का 24 फीसदी) न तो रोजगार में थे और न ही शिक्षा या प्रशिक्षण में। रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र में हर पांच युवा कामगारों में चार असंगठित क्षेत्र में है और चार युवा कर्मचारियों में एक गरीबी में रहने को मजबूर है।

रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका और आईएलओ क्षेत्रीय आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषण इकाई प्रमुख सारा एल्डर ने कहा, ‘कोविड-19 संकट के बाद से जो चुनौतियां युवाओं के लिये थी, वह और बढ़ गई हैं। अगर इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, एक ‘लॉकडाउन जेनरेशन’ तैयार होने का खतरा है, जिसे इस संकट का भार कई साल तक महसूस करना पड़ सकता है।’


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rajesh kumar

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