भारतीय खिलौना उद्योग मजबूत विकास पथ पर, पांच वर्षों में 40% बढ़ा निर्यात
punjabkesari.in Friday, Feb 28, 2025 - 04:41 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय खिलौना उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है और वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना रहा है। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2032 तक वैश्विक खिलौना बाजार 179.4 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है।
तकनीकी नवाचार और गुणवत्ता सुधार से उद्योग में बदलाव
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का खिलौना उद्योग कौशल विकास, तकनीकी उन्नति और गुणवत्ता सुधार के चलते तेजी से बदल रहा है। 2023 में भारतीय खिलौना बाजार की कीमत लगभग 1.5 अरब डॉलर थी और सरकार की नीतियों से इसे काफी समर्थन मिल रहा है।
बजट 2025-26 में ‘नेशनल एक्शन प्लान फॉर टॉयज’ का ऐलान
केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 में नेशनल एक्शन प्लान फॉर टॉयज की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य क्लस्टर विकास, कौशल वृद्धि और मजबूत निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। इस योजना के तहत ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड के तहत उच्च गुणवत्ता वाले, अभिनव और टिकाऊ खिलौनों के निर्माण पर जोर दिया जाएगा।
सरकारी नीतियों से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा
सरकार द्वारा लागू क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) 2020 से खिलौनों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इसके अलावा, फरवरी 2020 में खिलौनों पर आयात शुल्क 20% से बढ़ाकर 60% किया गया और मार्च 2023 में इसे 70% तक कर दिया गया। इन उपायों से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिला और आयात में भारी गिरावट आई।
5 वर्षों में 79% घटा आयात, 40% बढ़ा निर्यात
सरकारी नीतियों के असर से भारत में खिलौनों का आयात FY 2018-19 में 304 मिलियन डॉलर से घटकर FY 2023-24 में मात्र 65 मिलियन डॉलर रह गया, जो 79% की गिरावट को दर्शाता है। दूसरी ओर, इसी अवधि में निर्यात 40% बढ़कर 109 मिलियन डॉलर से 152 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इससे भारत अब खिलौनों का शुद्ध निर्यातक (Net Exporter) बन गया है।
वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए तैयार भारतीय खिलौना उद्योग
स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने, गुणवत्ता सुधार और मजबूत निर्माण आधार के चलते भारतीय खिलौना उद्योग वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए पूरी तरह तैयार है। यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा बल्कि भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के बड़े विजन को भी साकार करेगा।