भारत की विकास दर 7-8% तक पहुंचने की संभावना: WEF अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंडे

punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2025 - 01:45 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के वार्षिक कार्यक्रम में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष और सीईओ, बोर्गे ब्रेंडे ने भारत की विकास संभावनाओं पर अपनी उम्मीदें जाहिर कीं। उन्होंने कहा कि भारत में सुधारों की मदद से देश की विकास दर 7-8% तक पहुंच सकती है। वर्तमान में भारत 6% की दर से बढ़ रहा है, जो अच्छी वृद्धि मानी जा रही है लेकिन अगर निवेश, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और अनुसंधान & विकास में सुधार होता है तो यह दर और बढ़ सकती है।

भारत की वैश्विक वृद्धि में अहम भूमिका ब्रेंडे ने आगे कहा कि भारत के पास अपार संभावनाएं हैं और आगामी वर्षों में भारत की हिस्सेदारी वैश्विक वृद्धि में 20% तक पहुंच सकती है। भारत के लिए एक और सकारात्मक पहलू यह है कि यहां स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें वर्तमान में 1,20,000 से अधिक स्टार्टअप्स और 120 यूनिकॉर्न हैं। यह पारिस्थितिकी तंत्र भविष्य में विकास का आधार बनेगा।

भारत की 10 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य पर ब्रेंडे ने कहा कि भारत जल्द ही 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि डिजिटल व्यापार और सेवाओं में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, जो पारंपरिक व्यापार की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ रहा है। भारत इस क्षेत्र में काफी मजबूत है और इसका फायदा देश को होगा।

डिजिटलीकरण से जुड़ी चुनौतियां और अवसर ब्रेंडे ने डिजिटलीकरण के बारे में बात करते हुए कहा कि यह उत्पादकता में वृद्धि करता है, जिससे कम संसाधनों में अधिक उत्पादन संभव होता है। हालांकि, इससे कुछ नौकरियों में चुनौती भी आ सकती है, जैसे बैक ऑफिस या अन्य कार्यों में, लेकिन इसका फायदा यह है कि लोग उन क्षेत्रों में स्थानांतरित हो सकते हैं, जो उच्च उत्पादन और बेहतर वेतन प्रदान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शॉर्ट टर्म में यह चुनौतियां पैदा कर सकता है लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण में यह अवसर प्रदान करेगा।

जलवायु परिवर्तन की चुनौती ब्रेंडे ने जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे सूखा और आग जैसी समस्याओं से कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर निष्क्रियता की लागत कार्रवाई से कहीं अधिक हो सकती है और हमें CO2 उत्सर्जन में कमी लाने के लिए गति बनाए रखने की आवश्यकता है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के इस पांच दिवसीय सम्मेलन में 130 से अधिक देशों के 3,000 से ज्यादा नेता हिस्सा ले रहे हैं, जो विकास को फिर से गति देने, नई तकनीक का उपयोग करने और सामाजिक एवं आर्थिक लचीलेपन को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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