भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान: S&P

punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 06:25 PM (IST)

नई दिल्लीः एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष 2026-27 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान व्यक्त किया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कर कटौती और मौद्रिक नीति में ढील से उपभोग आधारित वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जून अवधि में पांच तिमाहियों में सबसे तेज 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के जीडीपी वृद्धि अनुमानों के आधिकारिक आंकड़े 28 नवंबर को जारी होने वाले हैं। 

एसएंडपी ने अपनी ‘इकोनॉमिक आउटलुक एशिया-पैसिफिक रिपोर्ट' में कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2025-26 (मार्च 2026 को समाप्त) में 6.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026-27 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जिसमें जोखिम दोनों ओर संतुलित होंगे। अमेरिकी शुल्क के प्रभाव के बावजूद मजबूत खपत से प्रेरित घरेलू वृद्धि मजबूत बना हुई है।'' भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो गत वित्त वर्ष 2024-25 की 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से बेहतर है।

एसएंडपी ने कहा, ‘‘माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की कम दरें मध्यम वर्ग के उपभोग को बढ़ावा देंगी और इस वर्ष शुरू की गई आयकर कटौती एवं ब्याज दरों में कटौती का पूरक बनेंगी। इन बदलावों से चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में निवेश की तुलना में उपभोग वृद्धि का एक बड़ा चालक बन सकता है।'' सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में आयकर छूट को सात लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दिया है, जिससे मध्यम वर्ग को एक लाख करोड़ रुपए की कर राहत मिली है। इसके अलावा आरबीआई ने जून में प्रमुख नीतिगत दरों में 0.5 प्रतिशत की कटौती करके उन्हें तीन साल के निचले स्तर 5.5 प्रतिशत पर ला दिया था। 

वहीं, 22 सितंबर से करीब 375 वस्तुओं पर जीएसटी दरें घटा दी गईं जिससे दैनिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। एसएंडपी ने कहा कि भारत पर प्रभावी अमेरिकी शुल्क में बढ़ोतरी से देश में निर्यातोन्मुखी विनिर्माण के विस्तार पर असर पड़ रहा है। ऐसे संकेत हैं कि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर शुल्क कम कर सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘व्यापार नीति के प्रति अमेरिका के नए दृष्टिकोण के कारण सरकारें और कंपनियां छूट के लिए बातचीत करने में समय एवं पैसा खर्च कर रही हैं जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता बढ़ाने के प्रयासों से ध्यान हट रहा है।'' 


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Content Writer

jyoti choudhary

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