इकॉनमी पर कोरोना की मार! तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.6% रहने का अनुमान : बार्कलेज

punjabkesari.in Tuesday, Feb 22, 2022 - 08:37 PM (IST)

बिजनेस डेस्क: विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत रहने के पहले के अनुमान को कम कर दिया है। उसने इसका कारण महामारी की तीसरी लहर को बताया है। उसने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत रह सकती है। बार्कलेज के अनुसार, अर्थव्यवस्था तीसरी तिमही में अपेक्षाकृत स्थिर रही। कई क्षेत्रों में कामकाज महामारी-पूर्व स्तर पर आ गया हैं। इन गतिविधियों में सेवा क्षेत्र की भूमिका बड़ी है।

जनवरी में ओमीक्रोन लहर और उस पर अंकुश लगाने के लिए लगायी गयी पाबंदियों को देखते हुए वित्त वर्ष 2021-22 के लिये पूर्व में अनुमानित 10 प्रतिशत वृद्धि दर के नीचे आने का जोखिम है। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही का जीडीपी अनुमान 28 फरवरी को जारी करेगा। बार्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तुलनात्मक प्रभाव ऊंचा होने से वृद्धि दर दूसरी तिमाही के 8.4 प्रतिशत के मुकाबले तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत रह सकती है।

हालांकि, ग्रामीण खपत में कमी के साफ संकेत हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर बेहतर बने रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि पर विनिर्माण के बजाय सेवा क्षेत्र का ज्यादा असर है। मुख्य रूप से वाहनों में आपूर्ति संबंधी बाधाओं के कारण निर्माण, विनिर्माण और खनन में वृद्धि दर धीमी रही है। आपूर्ति संबंधी समस्या और उच्च तुलनात्मक आधार प्रभाव का विनिर्माण पर असर हुआ है लेकिन सेवा क्षेत्र में वृद्धि तेजी से हो सकती है। ईंधन मांग में मजबूती और व्यापार में तेजी पुनरुद्धार के स्पष्ट संकेत देती है।

बार्कलेज के अनुसार, यातायात के स्तर यानी पर्यटन गतिविधियां, हवाई यातायात, रेलवे माल ढुलाई और आवाजाही के आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था महामारी-पूर्व स्तर के करीब पहुंच गयी है। इतना ही नहीं कर्ज में वृद्धि बनी हुई है और कंपनियों का लाभ मजबूत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि ओमीक्रोन संक्रमण ने पुनरुद्धार पर कोई खास असर नहीं डाला, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ने और इसकी रोकथाम के लिये लगायी गयी कुछ पाबंदियों से चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर कुछ असर पड़ सकता है।

 

 

 


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Content Editor

rajesh kumar

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