सर्वश्रेष्ठ, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत का कर्ज कम: IMF

punjabkesari.in Wednesday, Oct 10, 2018 - 05:01 PM (IST)

वाशिंगटनः दुनिया की सर्वश्रेष्ठ और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत पर कर्ज का बोझ कम है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने चेताते हुए कहा कि 2017 में वैश्विक ऋण 1,82,000 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया है। आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने कहा कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत में भारत का कर्ज वैश्विक कर्ज से कम है। 

आईएमएफ के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2017 में भारत में निजी ऋण जीडीपी का 54.5 प्रतिशत था, जबकि सरकार का कर्ज 70.4 प्रतिशत था। कुल ऋण जीडीपी का 125 प्रतिशत था। वहीं चीन पर ऋण जीडीपी का 247 प्रतिशत है। गैस्पर ने कहा कि ऐसे में भारत पर ऋण वैश्विक जीडीपी के प्रतिशत में काफी कम है। उन्होंने बताया कि भारत का कर्ज विकसित अर्थव्यवस्थाओं के औसत कर्ज उभरती अर्थव्यवस्थाओं के औसत से कम है। उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से विकसित अर्थव्यवस्थाओं के कर्ज में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। 

गैस्पर ने कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान भारत का निजी कर्ज जीडीपी के 60 प्रतिशत से घटकर 54.5 प्रतिशत पर आ गया है, जो काफी स्थिर है। गैस्पर के मुताबिक उभरते बाजारों में सार्वजनिक ऋण की तुलना में निजी ऋण ज्यादा तेजी से बढ़ा है।

मंदी से डूब जाएंगे अमेरिका के 5,000 अरब डॉलर
यदि गंभीर मंदी की स्थिति पैदा होती है तो अमेरिका में 5,000 अरब डॉलर की सार्वजनिक संपदा डूब जाएगी। आईएमएफ ने यह चेतावनी दी है। आईएमएफ ने कहा कि मंदी से अमेरिका मात्र कर्ज और घाटा बढऩे से कहीं अधिक नुकसान होगा। आईएमएफ की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर की कई सरकारों के समक्ष इसी तरह का खतरा है। इसके बावजूद सरकारें स्पष्ट तौर पर अपनी संपदा या नेटवर्थ के बारे में खुलासा नहीं करती हैं।
 


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jyoti choudhary

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