अगल वर्ष ईंधन आयात करने में भारत को आएगी दिक्कत, ये है कारण

punjabkesari.in Tuesday, Nov 27, 2018 - 05:39 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत में तेल शुद्ध कारखानों (रिफाइनरी) के बंद होने से भारत को अगल वर्ष ईंधन आयात करने के लिए बध्य होना पड़ सकता है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि भारत के सरकारी नियंत्रण वाली करने वाली रिफाइनरी प्रभावित होगी क्योंकि अप्रैल 2020 की सफाई करने के रिफाइनरी बंद होगी जिसके कारण  तेल की मांग में कमी आएगी। जानकारी के अनुसरा आईओसी ने अपनी 11 रिफाइनरियों में गैसोलीन-और गैसोइल उत्पादक इकाइयों की लगभग एक महीने लंबी शटडाउन की योजना बनाई है। 

भारत को झेलनी होगी थोड़ी दिक्कत
भारत दुनिया का तीसरी सबसे बड़ा तेल आयातक उपभोक्तता है। भारत में ही कच्चे तेल की शोध की जाती है। एेसे में कुछ दिनों की सफाई के कारण इसमें काफा बांधा आएगी।  इसका अर्थ यह है कि भारत की प्राईवेट रिफाइनरी द्वारा तैयार किए जा रहे ईधं की मांग भी बढ़ जाएगी और इससे भारत को दिक्कत आ सकती है। राज्य रिफाइनर - इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम एनएसई -0.18% और मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स - देश के लगभग 5 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) क्षमता का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है। रिफाइनरों को जनवरी 2020 से यूरो VI-compliant ईंधन को हटाने के लिए 15 से 45 दिनों के लिए गैसों और गैसोलिन बनाने इकाइयों को अपने संयंत्रों में बंद करना होगा ताकि उन्हें उस साल अप्रैल से बेच सकें।

रिफाइनरियों के मुख्य हिस्सों में सुधार की आवश्यकता
रिफाइनरियों के मुख्य हिस्सों में सुधार की आवश्यकता होती है जिसमें इसके अलावा, कुछ रिफाइनरों को नए गैसोलीन उपचारकर्ता, हाइड्रोजन उत्पादन और सल्फर रिकवरी इकाइयों को संशोधित या स्थापित करना होता है जिस कारण आईओसी ये कदम उठाने जा रहा है। एफजीई उम्मीद करता है कि शट डाउन के कारण 201 9 में भारत करीब 40,000 बीपीडी गैसोलीन और 70,000 बीपीडी गैसोइल आयात कर सकता है।


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Isha

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