भारत ने 10 वर्षों में विदेशी सैटेलाइट लॉन्च कर 143 मिलियन डॉलर की कमाई की
punjabkesari.in Saturday, Mar 15, 2025 - 01:43 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत ने 2015 से 2024 की अवधि के दौरान विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करके 143 मिलियन अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित की है। केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह, जो अंतरिक्ष क्षेत्र की देखरेख करते हैं, ने लोकसभा में यह जानकारी दी।
393 विदेशी सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण
जनवरी 2015 से दिसंबर 2024 तक, भारत ने कुल 393 विदेशी सैटेलाइट और तीन भारतीय ग्राहक सैटेलाइट को व्यावसायिक रूप से ISRO के PSLV, LVM3 और SSLV लॉन्च वाहनों के जरिए प्रक्षेपित किया है। मंत्रालय ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
34 देशों के सैटेलाइट किए लॉन्च
2014 के बाद से भारत ने अब तक 34 देशों के सैटेलाइट लॉन्च किए हैं, जिनमें कई विकसित देश भी शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक अमेरिका के 232, ब्रिटेन के 83, सिंगापुर के 19, कनाडा के 8, कोरिया के 5, लक्ज़मबर्ग के 4, इटली के 4, जर्मनी के 3, बेल्जियम के 3, फिनलैंड के 3, फ्रांस के 3, स्विट्जरलैंड के 2, नीदरलैंड के 2, जापान के 2, इजरायल के 2, स्पेन के 2, ऑस्ट्रेलिया का 1, यूएई का 1 और ऑस्ट्रिया का 1 सैटेलाइट शामिल है।
61 देशों और 5 बहुपक्षीय संगठनों के साथ समझौते
भारत ने 61 देशों और 5 बहुपक्षीय संगठनों के साथ अंतरिक्ष सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों के प्रमुख क्षेत्र सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट नेविगेशन, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज तथा क्षमता निर्माण हैं।
भारत का बढ़ता अंतरिक्ष शक्ति के रूप में दबदबा
भारत ने पिछले वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। 2023 में भारत ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा और आदित्य-एल1 मिशन के जरिए सूर्य के अध्ययन में एक नई उपलब्धि हासिल की।
अब भारत गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है, जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के रूप में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजकर उन्हें सुरक्षित वापस लाया जाएगा। यह मिशन 2025 में लॉन्च होने की योजना में है।
गगनयान मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में प्रशिक्षण दिया गया
गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसी केंद्र में 1984 में पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने भी प्रशिक्षण लिया था।
2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ और 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य
भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (Bharatiya Antariksha Station) स्थापित करने और 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने की योजना भी शामिल है।