बजट में इनकम टैक्स छूट सीमा 3 लाख रुपए हो सकती है: SBI

punjabkesari.in Monday, Jan 23, 2017 - 05:41 PM (IST)

नई दिल्ली: सरकार नोटबंदी के बाद बने हालात को देखते हुए अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए आगामी बजट में प्रत्यक्ष करों में व्यापक फेरबदल कर सकती है। आयकर छूट सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपए किया जा सकता है और बैंकों में पांच साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की सावधि जमा पर कर छूट दी जा सकती है।

भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट ‘ईकोरैप’ के अनुसार आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है। आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न निवेश और बचत पर मिलने वाली छूट सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। आवास रिण के ब्याज पर भी कर छूट की सीमा बढ़ सकती है। एसबीआई की ईकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़कर तीन लाख रुपए सालाना हो सकती है। धारा 80सी के तहत विभिन्न बचतों और निवेश पर मिलने वाली कर छूट सीमा 1.5 लाख से बढ़कर दो लाख रुपए की जा सकती है। आवास रिण के ब्याज पर मिलने वाली कर छूट सीमा दो लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए की जा सकती है। इसके अलावा बैंकों में पांच साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की जमा पर कर छूट मिल सकती है।’’

स्टेट बैंक शोध की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महा प्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांत घोष ने तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस तरह की छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा लेकिन हमें आय घोषणा योजना-दो के राजस्व और रिजर्व बैंक की निरस्त नोट देनदारी से संतुलित होने की उम्मीद है।’’ एसबीआई शोध के अनुसार आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत करीब 50,000 करोड़ रुपए की कर वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद है।

नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष करों में यह फेरबदल हो सकता है। वर्तमान में ढ़ाई लाख रुपए तक की व्यक्तिगत आय पर कोई कर नहीं है। ढाई लाख से पांच लाख तक 10 प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपए की वार्षिक आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है। नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर बदल गई है। 


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