गोदाम लबालब, बेहतर उत्पादन का अनुमान, फिर भी सरकार कर रही दालों का आयात

Tuesday, Jun 19, 2018 - 11:52 AM (IST)

नई दिल्लीः देश में दाल उत्पादक किसानों की लागत नहीं निकल पा रही है और सरकार एक बार फिर विदेशों से दाल मंगाने जा रही है जबकि इस साल बेहतर मानसून में दलहनों के भी अच्छे उत्पादन का अनुमान है। विदेशों से निर्यात और आयात के लिए जिम्मेदार विदेश व्यापार महानिदेशालय (डी.जी.एफ.टी.) ने 11 जून, 2018 को दिल्ली में हुई बैठक में देशभर के 345 दाल मिल और कारोबारियों को दलहन आयात की मंजूरी दे दी थी। देश में दलहन से गोदाम तो पहले ही लबालब हैं फिर भी सरकार दालों का आयात क्यों कर रही है समझ से परे है।

डी.जी.एफ.टी. की अधिसूचना के अनुसार 31 अगस्त तक देश में 1,99,891 टन अरहर, 1,49,964 टन मूंग और 1,49,982 टन उड़द आयात हो जानी चाहिए जबकि देश की मंडियों में अरहर की दाल सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल से कम पर बिक रही है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में दालों का अच्छा उत्पादन होता है लेकिन पिछले कई वर्षों से किसान परेशान हैं। कर्नाटक को तो दाल का कटोरा कहा जाता है। यहां के किसानों ने अपनी अरहर 3000 से लेकर 4300 रुपए प्रति क्विंटल तक बेची है।

ज्यादा उत्पादन के कारण दलहन के रेट गिरे
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के चेयरमैन सुरेश अग्रवाल का कहना है कि वर्ष 2015 में पूरे देश में 173 लाख मीट्रिक टन दलहन का उत्पादन हुआ। इसी साल रेट तेज हुए। किसान ने अगले साल खूब बुआई की। वर्ष 2016 में 221 लाख मीट्रिक टन यानी 48 लाख मीट्रिक टन ज्यादा पैदावार हुई। इतना ही नहीं, इसी साल 57 लाख मीट्रिक टन दालों का सरकार को बाहर से आयात करना पड़ा। यही वजह थी कि दलहन के रेट तेजी से नीचे गिरे, किसान की लागत नहीं निकल पाई। 

भारत में दुनिया की 85 प्रतिशत अरहर की होती है खपत 
भारत दाल का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। भारत में दुनिया की 85 प्रतिशत अरहर की खपत होती है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में 49 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में अरहर बोई जाती है जिसमें से 42.2 लाख टन उपज होती है। इस उत्पादन में 30.7 लाख टन का अनुमानित उत्पादन की हिस्सेदारी भारत की है। भारत में चना, उड़द, मटर, मसूर, मूंग सहित 14 किस्म की दालें होती हैं।

किसानों का आरोप मोदी सरकार आने के बाद घट गए फसलों के दाम 
अरहर या दूसरी दालें जब विदेश से मंगाई जाती हैं तो देश में किसानों का गणित बिगड़ जाता है लेकिन न तो देश में एकाएक दालों की कमी होती है और न ही एकाएक रेट आसमान पर पहुंचते हैं जिससे आयात की नौबत आ जाए। किसानों ने केन्द्र पर आरोप लगाया कि जब से मोदी सरकार आई है फसलों के दाम घट गए हैं। 

Supreet Kaur

Advertising