GST हुआ लागू , अभी कुछ दिन रहेगी परेशानी

punjabkesari.in Saturday, Jul 01, 2017 - 02:01 PM (IST)

नई दिल्लीः इतिहास बन गया है और जी.एस.टी. लागू हो गया है लेकिन जिन्हें जी.एस.टी. देना है ऐसे बहुत से लोग अभी ‘डूज एंड डोंट’ ही पढ़ने में जुटे हैं। छोटे कारोबारियों को जी.एस.टी. से अभी भी कई शिकायतें हैं। बड़ी कंपनियां भी जी.एस.टी. को डिकोड करने की बजाय परेशानी छोटे वैंडरों के मत्थे भी मढ़ रही हैं।
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नियम को समझे बगैर अमल
दरअसल नियमों के फेर में कंपनियों और लोगों ने खुद को इतना उलझा लिया है कि सिरा पकड़ में ही नहीं आ रहा है। सरकार ने अपनी तरफ से हर माध्यम से पहेली सुलझाने की कोशिश की है। पर खासतौर पर छोटे कारोबारी उम्मीद की बजाय आगे की आशंकाओं से ज्यादा परेशान हैं। इन दोनों मामलों से हालात समझिए..

1. जयपुर में छोटे पब्लिशिंग हाऊस इंफोलिमर मीडिया के प्रोपराइटर नलिन कुमार की किताबों की बिक्री 15 दिन से ठप्प है। नलिन अपनी किताबें फ्लिपकार्ट और अमेजन के जरिए ऑनलाइन बेचते हैं लेकिन एक दिन अचानक दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों ने उनका अकाऊंट सस्पैंड कर दिया और जी.एस.टी. रजिस्ट्रेशन नंबर मांग लिया। नलिन ने उन्हें बताया कि उनका टर्नओवर सालाना मुश्किल से 10 लाख रुपए है, और जी.एस.टी. के लिए लिमिट 20 लाख रुपए सालाना है, फिर भी उनसे जी.एस.टी. नंबर मांगा जा रहा है। 

2. दिल्ली के झंडेवालान मार्कीट में छोटी इंडस्ट्री और होलसेलर एक जगह बैठकर इसी बात पर घंटों माथापच्ची करते रहे कि उधार में दिए गए माल पर भी उन्हें इनवॉयस की एंट्री करते ही टैक्स भरना होगा। एक कारोबारी के मुताबिक उनका पेमैंट आने में 6 महीने तक लग जाते हैं, पर जी.एस.टी. में तो टैक्स इनवॉयस की एंट्री करने के महीने भर में देना होगा ऐसे में उन्हें वर्किंग कैपिटल से टैक्स भरना होगा 
3. कई इसी बात से चिंतित हैं कि टैक्स भरने के लिए कहीं लोन लेने की नौबत न आ जाए?
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सवाल सबके पास हैं
छोटे कारोबारियों और छोटी इंडस्ट्री के लोगों की फिक्र जायज है। इनका इंफ्रास्ट्रक्चर बड़े कॉर्पोरेट हाऊस जैसे मजबूत नहीं है। सरकार की तरफ से समझाइश के बावजूद बहुत से छोटे कारोबारियों के पास सवालों का अंबार है जैसेः
1. अगर दिल्ली का डिस्ट्रीब्यूटर महाराष्ट्र में बना प्रोडक्ट आंध्र प्रदेश में बेचता है और अगर 28 परसैंट जी.एस.टी. है तो इनपुट टैक्स क्रैडिट कैसे मिलेगी।
2. कंसल्टैंट जो अभी 15 परसैंट सर्विस टैक्स देता है वो जानना चाहता है कि जी.एस.टी. लागू होने के बाद उसे कितना सर्विस टैक्स देना होगा?
3. कंज्यूमर जानना चाहता है कि कौन से मोबाइल फोन और टी.वी. सस्ते होंगे। 
4. सब्जियों का होलसेल डीलर जिसका टर्नओवर एक करोड़ रुपए है वो जानना चाहता है कि क्या उसे रजिस्ट्रेशन कराना होगा क्योंकि सब्जियां तो जी.एस.टी. के दायरे से बाहर हैं?
इनमें ज्यादातर सवालों के जवाब बहुत आसान और सीधे हैं लेकिन जी.एस.टी. को समंदर समझकर लोग डुबकी लगाने से ही डर रहे हैं।

GST के अमल में चुनौतियां रहेंगी
एशियन डिवैल्पमैंट बैंक के प्रैजिडैंट ताकेहीको नकाओ का कहना है जी.एस.टी. के अमल में शुरूआती स्तर पर कुछ चुनौतियां जरूर रहेंगी।  उनके मुताबिक सरकार को अमल के दौरान होने वाली दिक्कतों को दूर करने में फुर्ती दिखानी होगी। तमाम ग्लोबल और देसी इकोनॉमिस्ट मानते हैं कि 6 तरह के टैक्स रेट ने जी.एस.टी. को कुछ जटिल बना दिया है। इसलिए जी.एस.टी. के फायदे दिखने में वक्त लगेगा लेकिन लंबी अवधि में बड़ा फायदा होगा।
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उद्योगों के लिए बड़ा चैलेंज सही दाम रखना 
1. ज्यादा मुनाफे का लालच छोड़ना पड़ेगा
जी.एस.टी. के बाद कई प्रोडक्ट पर टैक्स बढ़ेगा, लेकिन ए.डी.बी. के प्रैजिडैंट के मुताबिक अगर कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट के सही दाम नहीं रखे तो उनको तगड़ा झटका भी लग सकता है। उनके मुताबिक पूरा देश एक ही बाजार बन जाने से अब कम्पीटीशन तगड़ा होगा और लेवल प्लेइंग फील्ड सबको मिलेगा। ऐसे में जो कंपनियों के ज्यादा मुनाफे का लालच छोड़ेंगी वही अस्तित्व बचा पाएंगी। 
2. जो सारा बोझ कंज्यूमर पर थोपेंगे वो फंसेगा
जानकारों का मानना है कि कई प्रोडक्ट में टैक्स कम होने से दाम कम होंगे लेकिन कई प्रोडक्ट के दाम टैक्स बढऩे से बढ़ जाएंगे, जो कंपनियां टैक्स का पूरा बोझ कंज्यूमर पर डालेंगी उन्हें परेशानी भी हो सकती है।

टैक्स वसूली कम होने का खतरा
इसके साथ ही बहुत कमोडिटी भी दायरे से बाहर हैं, इसलिए टैक्स वसूली में कमी होने का खतरा भी है। जानकार इस बात से ङ्क्षचतित हैं कि अगर टैक्स वसूली अनुमान से कम हुई तो सारे नुक्सान की भरपाई केंद्र सरकार को करनी होगी। इसकी दो वजह हैं- एक तो केंद्र का टैक्स वसूली का हिस्सा कम होगा, दूसरा अगर राज्यों की कमाई में सालाना 14 परसैंट से कम बढ़ौतरी होती है तो उनके नुक्सान की भरपाई भी केंद्र को ही करनी होगी। इकोनॉमिस्ट के मुताबिक ऐसा होने पर केंद्र का फिस्कल घाटा काफी बढ़ सकता है।
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GDP ग्रोथ की ज्यादा उम्मीदें मत पालिए 
पहले अनुमान लगाया गया था कि जी.एस.टी. लागू होने से देश की जीडीपी ग्रोथ 2 परसेंट तक बढ़ सकती है। लेकिन अब तमाम रिसर्च एजेंसियां क्रिसिल, इकरा, और नोमूरा तक जीडीपी ग्रोथ को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि ज्यादा टैक्स वसूली से जुड़े बहुत से प्रोडक्ट जी.एस.टी. के दायरे से बाहर हैं। पैट्रोलियम प्रोडक्ट को 5 साल बाद जी.एस.टी. के दायरे में लाया जा सकता है। रैजिडैंशियल अपार्टमैंट जी.एस.टी. में शामिल हैं लेकिन ज्यादा टैक्स देने वाले कमर्शियल कंस्ट्रक्शन और फैक्टरियां शामिल नहीं हैं।

खामियों के बावजूद GST फायदेमंद
-तमाम आशंकाओं के बावजूद इकोनॉमिस्ट जी.एस.टी. को कई मामलों में देश के लिए फायदेमंद भी मानते हैं। 
-हर कमोडिटी और सर्विस के लिए पूरे देश में एक समान टैक्स होने से कीमतों की असमानता खत्म हो जाएगी।
-लेवल प्लेइंड फील्ड मिलेगा और घरेलू इंडस्ट्री को फायदा होगा क्योंकि अब इंपोर्टेड आइटम के दाम लोकल प्रोडक्ट से कम नहीं होंगे। 
-राज्यों की सीमाओं पर लगने वाला वक्त खत्म हो जाएगा क्योंकि अब पूरा देश एक ही मार्कीट हो जाएगा

इंस्पैक्टर राज का खतरा
कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों को सबसे ज्यादा डर इस बात का लग रहा है कि चैकिंग के नाम पर ट्रकों और कारोबारियों को अधिकारी प्रताडि़त कर सकते हैं और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। जी.एस.टी. कानून के मुताबिक ट्रकों को ई-वेबिल साथ रखना होगा, जिसमें ट्रांसपोर्ट किए जा रहे सामान और दिए गए टैक्स का ब्यौरा होगा। टैक्स अथॉरिटी के पास कहीं भी ट्रकों की चैकिंग करने का अधिकार होगा, ऐसे में ट्रांसपोर्टरों की आशंका है कि उन्हें बेवजह परेशान किया जा सकता है। 


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