सरकार ने धान, दो अन्य फसलों की बुवाई के आंकड़े जारी करना बंद किया
punjabkesari.in Saturday, Jul 30, 2022 - 11:18 AM (IST)
नई दिल्लीः केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने प्रमुख उत्पादक राज्यों में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण चालू खरीफ सत्र में धान की बुवाई पर चिंताओं के बीच धान बुवाई के कुल रकबे का साप्ताहिक आंकड़ा (अद्यतन जानकारी) जारी करना बंद कर दिया है। केवल धान ही नहीं, कपास और गन्ने के साप्ताहिक बुवाई के आंकड़ों को भी लगातार दूसरे सप्ताह जारी नहीं किया गया है। संपर्क करने पर मंत्रालय के अधिकारी शुक्रवार को तीनों फसलों के आंकड़े जारी नहीं करने का कोई वाजिब कारण नहीं बता सके।
धान मुख्य खरीफ (गर्मी) फसल है और देश के कुल धान उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक इस मौसम के दौरान होता है। धान सहित खरीफ फसलों की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है। मंत्रालय आमतौर पर बुवाई शुरू होने के बाद हर शुक्रवार को सभी खरीफ फसलों के बुवाई के आंकड़े जारी करता है। धान की बुवाई पर मंत्रालय के पास इस खरीफ सत्र के अंतिम उपलब्ध आंकड़ा 17 जुलाई तक का है। फिलहाल 17 जुलाई तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अखिल भारतीय धान बुवाई का रकबा 17.4 प्रतिशत घटकर 128.50 लाख हेक्टेयर रह गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 155.53 लाख हेक्टेयर था।
तीन फसलों- धान, कपास और गन्ना को छोड़कर, मंत्रालय ने दलहन, तिलहन, मोटे अनाज और जूट : मेस्टा की बुवाई का अद्यतन आंकड़ा जारी किया है। इन फसलों के आंकड़े इस खरीफ सत्र के 29 जुलाई तक अद्यतन किए जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, दलहन का रकबा 29 जुलाई तक मामूली बढ़कर 106.18 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 103.23 लाख हेक्टेयर था। इसी अवधि के दौरान तिलहन का रकबा भी पहले के 163.03 लाख हेक्टेयर से मामूली रूप से बढ़कर 164.34 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि मोटे अनाज का रकबा पहले के 135.30 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 142.21 लाख हेक्टेयर हो गया।
हालांकि, इस खरीफ सत्र के 29 जुलाई तक जूट/मेस्टा का रकबा पहले से मामूली कम यानी 6.91 लाख हेक्टेयर था, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 7.01 लाख हेक्टेयर था। धान, कपास और गन्ने को छोड़कर सभी खरीफ फसलों की बुवाई का कुल रकबा एक साल पहले की अवधि की तुलना में इस खरीफ सत्र के 29 जुलाई तक 2.70 प्रतिशत बढ़कर 419.64 लाख हेक्टेयर रहा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने का अनुमान लगाया है। एक जून से 27 जुलाई के बीच पूरे देश में 10 प्रतिशत अधिक मानसूनी बारिश हुई, लेकिन इसी अवधि के दौरान पूर्व और उत्तर पूर्व भारत में 15 प्रतिशत बरसात की कमी दर्ज की गई। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड पश्चिम बंगाल, मिजोरम और मणिपुर में बारिश कम रही। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और शीर्ष निर्यातक देश है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami: कब मनाया जाएगा रंग पंचमी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कार्यकारी अध्यक्ष संजय अवस्थी व चंद्रशेखर को सौंपा ये दायित्व
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुड फ्राइडे के अवसर पर प्रभु यीशु मसीह को किया नमन