सरकार का बड़ा प्लान, गोल्ड हॉलमार्किंग बनाने वाली संस्था BIS को लेकर हो सकता है बड़ा फैसला
punjabkesari.in Tuesday, Oct 27, 2020 - 12:42 PM (IST)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार एक बार फिर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को उपभोक्ता मामले विभाग से हटाकर कॉमर्स मिनिस्ट्री में लाने का विचार कर रही है। पहले भी इस प्रपोजल को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय के इस प्रस्ताव का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि बीआईएस के पास विनियामक शक्तियां हैं और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए संसद की ओर से बीआईएस संशोधन अधिनियम 2016 पारित करने के बाद से उपभोक्ताओं की सभी जरूरतों का ध्यान यहां पर सही तरीके से रखा जा रहा है।
आपको बता दें कि BIS, जो भारत में राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। ये संस्था उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य कार्य करती है और इसका नाम पहले भारतीय मानक संस्थान (ISI) था। देश में सोने के हॉलमार्क जैसे नियमों को BIS ही तय करती है। हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) करती है।
दो हफ्ते का लग सकता है समय
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, BIS एजेंसी को वाणिज्य मंत्रालय के तहत लाने का काम पूरा करने के लिए दो सप्ताह की समय सीमा तय की गई है। रामविलास पासवान के निधन के बाद केंद्रीय रेलमंत्री और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार की जिम्मेदारी मिलने के बाद से इस संबध में कई बैठक हो चुकी है।
1986 में BIS कंज्यूमर अफेयर्स में हुआ था शामिल
पहले BIS को भारतीय मानक संस्थान (ISI) के नाम से जाना जाता था। सितंबर 1946 में औद्योगिक और आपूर्ति विभाग की ओर से इस एजेंसी का गठन किया गया था। साल 1986 में बीआईएस संसद के अधिनियम के रूप में अस्तित्व में आया और इसे उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत रखा गया।
BIS के अधिकारी ने दी जानकारी
बीआईएस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्लोब एजेंसियों के अलावा सभी जगह इंडस्ट्रियल गुड्स के लिए मानक बनाने वाली एजेंसी कॉमर्स डिपार्टमेंट के तहत ही काम करती है। अगर BIS को कॉमर्स मंत्रालय के अंडर में लाया जाता है तो इससे भारत को आत्मनिर्भर बनने में काफी सहयोग मिलेगा।