दूसरे के अकाऊंट में रखा गया अघोषित धन सरकार जब्त कर सकती है: HC

punjabkesari.in Tuesday, May 30, 2017 - 11:56 AM (IST)

नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटबंदी के बाद इस साल राजधानी में इनकम टैक्स अथॉरिटीज के छापों और कुर्की-जब्ती को वैध करार दिया है। जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस चंदर शेखर की पीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के यहां छापेमारी के दौरान पता चले कि किसी बैंक अकाऊंट में अघोषित धन जमा है लेकिन वह बैंक अकाऊंट उसके नाम पर नहीं है तो विभाग उस धन को जब्त कर सकता है। 

आयकर विभाग ने दिल्ली के एक बिजनसमेन के ठिकानों पर छापेमारी की और जानकारी मिलने के बाद उसकी 8 कंपनियों और एक सहयोगी के अलग-अलग बैंक अकाऊंट्स में जमा अघोषित रकम को जब्त कर लिया था। हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि बैंक अकाऊंट में पड़ा पैसा 'निःसंदेह एक मूल्यवान वस्तु' है। उसने इनकम टैक्स ऐक्ट का हवाला देते हुए कहा कि 'किसी बैंक अकाऊंट में रखी गई रकम सेक्शन 132(1) के दायरे से बाहर नहीं है और इसकी तलाश और कुर्की हो सकती है' क्योंकि 'कोई व्यक्ति न केवल अपने बैंक अकाऊंट में बल्कि किसी दूसरे के अकाऊंट में भी अघोषित आय छिपा सकता है।'

विभाग ने हाई कोर्ट से कहा कि इन कंपनियों में ज्यादातर का कोई जमीनी संचालन नहीं हो रहा था, बल्कि ये सिर्फ एक-दूसरे को पैसे का लेनदेन करती थीं ताकि आय का असली स्रोत छिपाकर टैक्स चोरी की जा सके। बैंक रिकॉर्ड्स की पड़ताल करने और पैसों की आवाजाही की विस्तृत जानकारी लेने के बाद आयकर विभाग ने कुछ कंपनियों और एक महिला कर्मचारी के 8 बैंक खातों में 24 करोड़ रुपए ढूंढ निकाले।

आरोपियों ने इस कुर्की के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और विभाग की कार्रवाई को चुनौती दी। वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने उन 8 कंपनियों का बचाव किया जिनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया लेकिन हाई कोर्ट ने उसे भ्रमित करने की कोशिश के आरोप में उल्टा उन आठों कंपनियों और उस महिला याचिकाकर्ता पर ही एक-एक लाख का जुर्माना लगा दिया। साथ ही, बेंच ने तलाशी के बाद पूछताछ के दौरान विभाग के सामने फर्जी दस्तावेज पेश करने की बात छिपाने के मकसद से कोर्ट को झूठा शपथ पत्र देने के लिए उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। 


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