SEBI के नए प्रस्ताव से BSE के शेयरों में गिरावट, Goldman Sachs ने घटाया टारगेट प्राइस
punjabkesari.in Monday, Mar 03, 2025 - 01:04 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः मार्केट से जुड़े रिस्क को लेकर सेबी (SEBI) द्वारा प्रस्तावित बदलावों ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शेयरों पर दबाव बना दिया है। इसके अलावा वैश्विक ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने इस प्रस्ताव के कारण BSE के टारगेट प्राइस में करीब 14% की कटौती कर दी, जिससे शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई। फिलहाल, BSE का शेयर 3.47% गिरकर 4,473.05 रुपए पर ट्रेड कर रहा है, जबकि इंट्रा-डे में यह 5.14% तक गिरकर 4,395.70 रुपए के स्तर तक पहुंच गया था।
BSE को लेकर Goldman का क्या कहना है?
गोल्डमैन का कहना है कि सेबी के प्रस्ताव से कैश इक्विटी टर्नओवर के मुकाबले इंडस्ट्री का ऑप्शंस प्रीमियम घटकर 0.4x से 0.3x पर आ जाएगा। इसके चलते इंडेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट पर ट्रेड होने वाले औसतन डेली प्रीमियम की मार्केट में हिस्सेदारी 30 फीसदी पार कर जाए, ऐसा मुश्किल हो जाएगा। फरवरी में यह आंकड़ा 22 फीसदी था। ऐसे में ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि प्रप्राइइटेरी ट्रेडर्स की एक्टिविटी कम हो सकती है और इसका झटका बीएसई के शेयरों पर दिख सकता है क्योंकि बीएसई के औसतन डेली टर्नओवर का करीब 70 फीसदी इन्हीं से आता है। इन सब बातों को देखते हुए ब्रोकरेज फर्म ने टारगेट प्राइस 5,650 रुपए से घटाकर 4,880 रुपए कर दिया है। हालांकि न्यूट्रल रेटिंग बरकरार रखा है।
SEBI ने क्या रखा है प्रस्ताव?
सेबी ने 24 फरवरी एक कंसल्टेशन पेपर में मार्केट रिस्क को मापने के लिए एक नए तरीके का प्रस्ताव पेश किया है। सेबी ने इक्विटी डेरिवेटिव में ओपन इंटरेस्ट (OI) के कैलकुलेशन के तरीके में बदलाव का प्लान बनाया है। अभी ओपन इंटरेस्ट के कैलकुलेशन के लिए नोशनल वैल्यू का इस्तेमाल होता है। सेबी की योजना इसकी जगह फ्यूचर्स इक्विवैलेंट या डेल्टा-बेस्ड ओपन इंटरेस्ट कैलकुलेशन का इस्तेमाल करने की है। ओआई किसी एसेट के मार्केट में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्टस की कुल संख्या है। सेबी का मानना है कि इससे मैनिपुलेशन में गिरावट आएगी। इसके अलावा इंडेक्स डेरिवेटिव्स सेगमेंट के लिए भी सेबी ने रिस्क-मैनेजमेंट में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। एक मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक इससे अब बड़ी पोजिशन रखने वाली बड़ी एंटिटीज की पोजिशन पर कम ओआई दिखने के मामले में तेज गिरावट आएगी। इससे कैश और डेरिवेटिव मार्केट में मैनिपुलेशन पर लगाम लगेगी और वोलैटिलिटी भी कम होगी।