ट्रंप की आर्थिक नीतियों से तय होगी सोने की चाल!

Monday, Feb 27, 2017 - 12:29 PM (IST)

नई दिल्लीः सोने में अपनी पोजीशन लेने के लिए निवेशकों, हेजरों और ऑर्बिटरेजरों ने अपनी निगाहें अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की भावी आर्थिक नीतियों पर लगा रखी हैं। पिछले कुछ सप्ताहों से इस सुरक्षित निवेश में मजबूत खरीदारी चल रही है। फिलहाल लंदन के हाजिर बाजार में सोना 1,257 डॉलर प्रति औंस पर है। पिछले तीन हफ्तों में इसके दाम 3 फीसदी बढ़े हैं। इसकी वजह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं की तुलना में यूरो का कमजोर होना है। हालांकि रुपए में करीबन 1.5 प्रतिशत की बढ़त के कारण भारतीय उपभोक्ताओं पर इसका असर कम ही रहा। मुंबई के प्रसिद्ध जवेरी बाजार में स्टैंडर्ड सोने की कीमत फिलहाल 29,305 रुपए प्रति 10 ग्राम चल रही हैं।

अमरीका की आर्थिक नीतियों की घोषणा अगले सप्ताह
कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराज के अनुसार कुछ समय के लिए सोने के दाम 1,284 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक जा सकते हैं जो 1,300 डॉलर प्रति औंस की मनोवैज्ञानिक सीमा से करीब 1 प्रतिशत कम होंगे। अगले सप्ताह राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को अमरीका की आर्थिक नीतियों की घोषणा करनी है जिससे अब तक की वृद्धि और आगे की कार्ययोजना का निर्धारण होगा। हमारा मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा अगले सप्ताह सोने की दिशा निर्धारित करेगी। हालांकि तब तक सोने को खरीदारों से प्रोत्साहन मिलता रहेगा। हालांकि रुपये में मजबूती के कारण घरेलू बाजार में सोने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार का अनुसरण करना चुनौती भरा होगा।

दरों में हो सकता है इजाफा
शुक्रवार को कॉमेक्स गोल्ड के वायदा में अप्रैल का बंद भाव 1.47 प्रतिशत बढ़कर 1,251.40 डॉलर रहा। बुधवार को जारी फेडरल की बैठक के ब्योरे में कहा गया है कि फेडरल ऑपन मार्कीट कमेटी (एफओएमसी) की राय में दरों में जल्द ही फिर से इजाफा करना उचित होगा। हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह भी संकेत दिया कि दरों में इजाफे का उसका फैसला ट्रंप की आर्थिक नीति के निर्णयों से प्रभावित हो सकता है। बहरहाल, इस हफ्ते ट्रंप की नीति पर अमरीकी फेड की मार्च बैठक का फैसला निर्भर करेगा। इसके बाद ही तय होगा कि दरें बढऩी हैं या नहीं।

बाजार की तेजी भी ट्रंप पर निर्भर
रिद्धि-सिद्धि बुलियन के प्रबंध निदेशक और इंडिया बुलियन ऐंड ज्वैलरी एसोसिएशन (आईबीजेए) के प्रवक्ता पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति को अपने चुनावी वादे पूरे करने हैं। बाजार को कर सुधार और बुनियादी ढांचे पर खर्च जैसे उनके प्रमुख वादों पर नीति की प्रतीक्षा है। जितना जल्दी वे इसे पूरा करेंगे निश्चित ही बाजार तेजी से भागेंगे। अगर उनका लंबी अवधि का एजेंडा हुआ तो बाजार का उत्साह एकदम ठंडा पड़ जाएगा। 

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