निर्मला सीतारमण से मिलीं Gita Gopinath, भारतीय इकोनॉमी में सुधार के लिए की सराहना
punjabkesari.in Saturday, Aug 17, 2024 - 05:46 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः आईएमएफ की फर्स्ट डिप्टी एमडी गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से मुलाकात की। उन्होंने आर्थिक नीतियों में सुधार जारी रखने के लिए वित्त मंत्री की सराहना की। निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत आईएमएफ के साथ सहयोग बढ़ाने के नए रास्ते तलाशेगा। इससे पहले गीता गोपीनाथ ने कहा था कि भारत को 2030 तक 6 से 14 करोड़ जॉब पैदा करने पड़ेंगे। हर साल देश में कम से कम 1 करोड़ नौकरियां पैदा होनी चाहिए।
1 करोड़ से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी तो होती रहेगी तरक्की
इंटरनेशनल मोनेट्री फंड (IMF) की गीता गोपीनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर भारत 1 करोड़ से 2.4 करोड़ नौकरियां हर साल पैदा करेगा तो उसकी आर्थिक गति रफ्तार पकड़े रहेगी। उन्होंने कहा कि महंगाई एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, कई देशों में यह अब सुस्त पड़ने लगी है। हालांकि, नौकरियों के मोर्चे पर स्थिति में अभी उतना सुधार नहीं है। कई देशों में संघर्ष के चलते खाद्य वस्तुओं के दाम ऊपर गए हैं। तेल की कीमतों के भी ऊपर जाने की आशंका है। इस साल कई देशों में चुनाव की वजह से भी अनिश्चितता बनी हुई है। भारत में महंगाई दर फिलहाल नियंत्रण में है।
सरकार को सभी सेक्टर्स को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी होगी
गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर संतुष्ट करने वाली है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बना हुआ है। हमारा अनुमान है कि भारत की GDP 6.5 फीसदी के आसपास बनी रहेगी। भारत ने कई सुधार किए हैं। मगर, आर्थिक रफ्तार को बनाए रखना है तो इससे ज्यादा किए जाने की जरूरत है। अगर जीडीपी ऐसे ही बढ़ती रही तो प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा होगा। इसके लिए भारत को करोड़ों की संख्या में हर साल नौकरियां पैदा करनी होंगी। सिर्फ एक या दो सेक्टर पर ध्यान देकर यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है। सरकार को सभी सेक्टर्स को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी होगी।
गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य अच्छा काम कर रहे
आईएमएफ की गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को कॉरपोरेट इनवेस्टमेंट बढ़ाना होगा। गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य विदेशी निवेश लाने के मामले में अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसा अन्य राज्यों को भी करना होगा। लोगों के स्किल डेवलपमेंट पर हमें ज्यादा ध्यान देना होगा। साथ ही कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा। भूमि सुधार में भी तेजी लानी होगी। उन्होंने कहा कि हमें एआई से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना होगा।