टैक्स रहित हो सिलाई मशीन इंडस्ट्री

punjabkesari.in Saturday, Jan 14, 2017 - 11:36 AM (IST)

लुधियानाः ‘बजट की बात ‘पंजाब केसरी’ के साथ’ सीरिज में आज हम बात करेंगे पंजाब की सिलाई मशीन इंडस्ट्री की। वर्ष 1995 तक आधी दुनिया पर राज कर चुकी भारतीय स्युइंग मशीन आज इक्का-दुक्का देशों में निर्यात के साथ अपने ही देश में चाइनीज उत्पादन क्षमता व इंडस्ट्रीयल स्युइंग मशीन के आगे बेघर होती नजर आ रही है। 

बता दें कि स्युइंग मशीन का निर्माण देश में केवल लुधियाना, जालंधर व समराला जैसी मंडी तक ही सीमित है। शायद यही वजह है कि दूरी पर स्थित होने के चलते केन्द्र सरकार तक इसकी आवाज नहीं पहुंच पा रही है। चाइना में 30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री का स्वरूप ले चुकी स्युइंग मशीन भारत में केवल 600 करोड़ सालाना कारोबार तक ही सीमित है। 

इस उद्योग की इकाइयों से लगभग 1 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। वहीं प्रत्येक सिलाई मशीन बेसहारा को 3 से 4 हजार रुपए के निवेश से आत्मनिर्भर होने का अवसर प्रदान करती है। स्युइंग मशीन निर्माताओं को बजट में क्या चाहती है। इसे लेकर 'पंजाब केसरी' ने इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से बात की। 

टैक्नोलॉजी अपग्रेडेशन हेतु मिले टफ स्कीम 
गारमैंट सैक्टर की रीढ़ की हड्डी स्युइंग मशीन के अपग्रेडेशन के लिए तुरंत टैक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड मिलना चाहिए, ताकि इस सैक्टर की इकाइयां स्वयं को अत्याधुनिक मशीनों से लैस करके अपने अस्तित्व को बनाए रखें। वर्तमान समय में भी भारत सिलाई मशीन के 120 वर्ष पुराने 2 से 3 मॉडलों के ही निर्माण में जुटा है, जबकि चाइना व अन्य देश 4 हजार मॉडलों के साथ विश्व बाजार में राज कर रहे हैं। 

आर.एंड डी. सैंटर में हो इंडस्ट्रीयल स्युइंग मशीन का विकास 
चाइना की तर्ज पर भारत को भी सिलाई व स्युइंग मशीन का इंडस्ट्रीयलाइजेशन करने की जरूरत है। स्युइंग मशीन की टैक्नोलॉजी का विकास करना काफी महंगी प्रतिक्रिया होने के चलते कोई भी प्राइवेट कम्पनी इसे करने के लिए आगे नहीं आ रही 
इसलिए सरकार को आर. एंड डी. सैंटर को महंगी मशीनों से युक्त बनाकर यहां इंडस्ट्रीयल स्युइंग मशीनों का विकास करना चाहिए, क्योंकि गारमैंट सैक्टर में इसकी भारी मांग है। चाइना प्रतिवर्ष भारतीय गारमैंट सैक्टर को 4 हजार करोड़ की इंडस्ट्रीयल सिलाई मशीनों का निर्यात कर रहा है। 

सिलाई मशीन इंडस्ट्री से टैक्स हटाया जाए
गरीब आदमी के लिए रोजगार का विकल्प सिलाई मशीन इंडस्ट्री को बजट में टैक्स रहित करने की जरूरत है। वर्तमान समय में सिलाई मशीन पर 2 प्रतिशत टैक्स लग रहा है, जिसे तुरंत हटाया जाए। वहीं जी.एस.टी. में भी इसे 0 प्रतिशत टैक्स प्रणाली में लिया जाना चाहिए। इसके अलावा स्किल्ड मैन पावर को तैयार करने के लिए देशभर के सरकारी स्कूलों में सिलाई सैंटर स्थापित करने चाहिएं, ताकि महिलाओं को रोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जा सके। 

चाइना की तर्ज पर निर्यात हेतु मिले 20 प्रतिशत सबसिडी
चाइना में सिलाई मशीन इंडस्ट्री के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए 15 से 20 प्रतिशत तक की सबसिडी दी जाती है, जिसके चलते चाइनीज कम्पनी विश्वभर की गारमैंट मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों में अपनी मशीनों की सप्लाई जोरों पर कर रहे हैं। इसके अलावा देश में मल्टी स्टिच करने वाली सिलाई मशीनों को विकसित करके क्रांति लाने की जरूरत है। 


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