पूर्व RBI गवर्नर यज्ञ वेणुगोपाल रैड्डी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

punjabkesari.in Friday, Sep 29, 2017 - 12:33 PM (IST)

वाशिंगटन: जी.डी.पी. को लेकर मचे घमासान में अब पूर्व आर.बी.आई. गर्वनर यज्ञ वेणुगोपाल रैड्डी भी कूद गए है। रैड्डी ने मोदी सरकार पर इशारों में निशाना साधते हुए देश की आर्थिक वृद्धि के लिए गठबंधन सरकारों को बेहतर बताया क्योंकि पिछले 3 दशक में इन्होंने बहुमत की सरकारों की अपेक्षा भारत को बेहतर आॢथक वृद्धि दी है। रैड्डी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि यह रोचक बात है कि भारत में सबसे अधिक आर्थिक वृद्धि 1990 से 2014 के बीच गठबंधन सरकारों के दौरान ही रही।

एक तरह से देखा जाए तो आम सहमति के आधार पर भारतीय परिस्थितियों में एक गठबंधन सरकार किसी मजबूत (पूर्ण बहुमत) वाली सरकार की अपेक्षा बेहतर आॢथक परिणाम देती है। वर्ष 1991 में भारत के भुगतान संकट का उल्लेख करते हुए रैड्डी ने कहा, ‘‘उस दौर की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि अस्थिर राजनीतिक हालातों के बावजूद उन्होंने, जो कदम उठाए जाने की जरूरत थी उनके लिए एक आम राजनीतिक सहमति बनाई और इसका सफलतापूर्वक प्रबंधन किया।’’ वह यहां अमरीका के प्रमुख थिंकटैंक हडसन इंस्टीच्यूट में बोल रहे थे। रैड्डी वर्ष 2003 से 2008 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 का विश्व आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है।

जी.डी.पी. में निर्यात की हिस्सेदारी 14 साल के निचले स्तर पर
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में भारत के निर्यात की हिस्सेदारी 14 साल के निम्न स्तर पर पहुंच गई है। वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात की वृद्धि दर भी वित्त वर्ष 2015 से ही कुल आर्थिक वृद्धि दर की तुलना में कम बनी हुई है। वित्त वर्ष-18 की पहली तिमाही में स्थिर कीमतों पर निर्यात सिर्फ  1.2 प्रतिशत बढ़ा है जबकि सालाना आधार पर जी.डी.पी. में वृद्धि दर इस दौरान 5.7 प्रतिशत रही।

मूल्य के हिसाब से देखें तो भारत का निर्यात 24 लाख करोड़ रुपए के करीब (2011-12 के मूल्य के आधार पर) पिछले 3 साल से स्थिर रहा है जबकि इस दौरान जी.डी.पी. की समग्र वृद्धि दर 24 प्रतिशत रही है। अप्रैल-जून, 2017 की अवधि में वस्तुओं एवं सेवाओंं का निर्यात स्थिर कीमतों पर भारत के जी.डी.पी. का 19.4 प्रतिशत रहा है जो वित्त वर्ष 2017 के 20 प्रतिशत और एक साल पहले की समान अवधि के 20.2 प्रतिशत की तुलना में कम है।


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