खाद्य प्रसंस्करण में होगा 33 अरब डॉलर का निवेश, मिलेगा 90 लाख को रोजगार

punjabkesari.in Sunday, Feb 19, 2017 - 04:08 PM (IST)

नई दिल्लीः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में वर्ष 2024 तक 33 अरब डॉलर के निवेश तथा करीब 90 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। उद्योग संगठन एसोचैम तथा बाजार अध्ययन एवं निवेश सलाह कंपनी ग्रांट थॉर्टन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि नीति निर्माताओं ने कृषि कार्य छोड़कर विनिर्माण की ओर बढ़ रहे श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की पहचान महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में ही है। 

वर्ष 2024 तक इसमें 88 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है जिसमें 8 लाख सीधी नौकरियां होंगी जबकि 80 लाख लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार के साधन मिलेंगे। रिपोर्ट के अनुसार इस समय देश का खाद्य प्रसंस्करण कारोबार 121 से 130 अरब डॉलर के बीच है। खेती लायक जमीन के मामले में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है। हम दूध, दलहन, गन्ना और चाय के सबसे बड़े तथा गेहूं, चावल, फलों और सब्जियों के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक हैं लेकिन इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन के बावजूद यहां प्रसंस्करण काफी कम होता है। कुछ उत्पादों में दो प्रतिशत से लेकर कुछ उत्पादों में 35 प्रतिशत तक ही प्रसंस्करण हो पाता है। केला, अमरूद, अदरक, पपीता आदि के उत्पादन हम दुनिया के शीर्ष देशों में हैं। हालांकि, इनका भी प्रसंस्करण बेहद कम होता है।  

एसोचैम का कहना है कि वर्ष 2015 में देश के खाद्य एवं खुदरा बाजार का आकार 258 अरब डॉलर था जिसके वर्ष 2020 तक बढ़कर 482 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। वैश्विकरण तथा सीमा पार बढ़ते व्यापार के साथ यहां हर साल 46 करोड़ टन खाद्य पदार्थों का व्यापार किया जाता है जिसकी कुल कीमत करीब 3 अरब डॉलर है। देश के कुल निर्यात में पिछले साल 12 प्रतिशत हिस्सेदारी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की थी तथा वर्ष 2011 से 2015 के बीच इसकी सालाना वृद्धि दर 23.3 प्रतिशत रही। इसलिए इस क्षेत्र में अभी काफी अवसर हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में असंगठित क्षेत्र का योगदान 42 प्रतिशत है। बड़ी संख्या में लघु उद्यमों की मौजूदगी यह दिखाती है कि इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की बड़ी संभावना है। हालांकि, प्राथमिक प्रसंस्करण की तुलना में द्वितीयक प्रसंस्करण में संगठित क्षेत्र की उपस्थिति ज्यादा है। देश के उपभोक्ता अपने कुल व्यय का 31 प्रतिशत खाने-पीने के सामान तथा किराना सामान पर खर्च करते हैं जो अमरीका (9 प्रतिशत), ब्राजील (17 प्रतिशत) तथा चीन (25 प्रतिशत) की तुलना में काफी ज्यादा है। खाद्य तथा किराना सामान देश के खुदरा कारोबार में 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं। 


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