GST की न्यूनतम दर के दायरे में हो फास्टनर

punjabkesari.in Saturday, Jan 14, 2017 - 01:36 PM (IST)

लुधियाना: बजट की बात ‘पंजाब केसरी’ के साथ सीरीज के तहत आज हम बात करेंगे लुधियाना की फास्टनर इंडस्ट्री की। नट-बोल्ट से फास्टनर में तबदील हुई इस इंडस्ट्री की जालंधर और लुधियाना में स्थित करीब 1200 यूनिट्स में 60 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है।

साइकिल इंडस्ट्री की तरह इस इंडस्ट्री के लिए भी स्टील मुख्य कच्चा माल है लेकिन स्टील की कीमतों पर नियंत्रण न होने के कारण इंडस्ट्री को हर माह अपने आप्रेशनल कास्ट में संतुलन बनाना मुश्किल लगता है। इंडस्ट्री बजट में सरकार से ऐसी योजना की उम्मीद कर रही है जिसके तहत स्टील की कीमतों पर नियंत्रण के लिए व्यवस्था बन सके। इसके अलावा इंडस्ट्री जी.एस.टी. के तहत फास्टनर को कम करके दायरे में रखने की भी मांग कर रही है। 

किराए-भाड़े में समानता से मिलेगी प्लेइंग फील्ड
समुद्री पोर्ट से लगभग 2 हजार किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण पंजाब की इंडस्ट्री पर किराए-भाड़े का ज्यादा बोझ है। पंजाब की इकाइयों में जान डालने के लिए केन्द्र सरकार किराए-भाड़े में समानता लाए तो जहां सस्ता माल उपलब्ध होगा, वहीं तैयार माल की प्रतिस्पर्धा में भी प्लेइंग फील्ड मिलेगी। 
-राम लुभाया, सोनू एक्सपोर्ट्स

मेक इन इंडिया के तहत निर्यात को प्रोत्साहित करने वाली हों नीतियां
केन्द्र सरकार को मेक इन इंडिया के तहत निर्यात को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों का गठन करना चाहिए। सरकार को यूरोप सरकार की तर्ज पर फास्टनर इंडस्ट्री को बचाने के लिए चाइना फास्टनर कम्पनियों पर निर्यात के लिए लगाई गई 80 प्रतिशत तक एंटी डम्पिंग ड्यूटी की तर्ज पर भारत में भी ऐसी पॉलिसियां लाने की जरूरत है।
-अनुज थापर, एप्पल बोल्ट

स्टील कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए बने रैगुलेटरी कमेटी
केन्द्र सरकार को बड़ी स्टील कम्पनियों के पूल को भंग करते हुए उन पर नियंत्रण हेतु रैगुलेटरी कमेटी बनाने की जरूरत है ताकि मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर को सस्ते रॉ मैटीरियल की उपलब्धता हो। 
-गौरव चोपड़ा, आर.के. फोर्जिंग

फि निश्ड उत्पाद के निर्यात पर केन्द्रित हों पॉलिसियां 
केन्द्र सरकार को स्टील के रॉ मैटीरियल ‘आयरन और’ एवं बिल्ट के निर्यात को रोकते हुए फिनिश्ड उत्पाद के निर्यात पर फोकस करने की जरूरत है। वर्तमान समय में देश की फास्टनर इंडस्ट्री का निर्यात न्यूनतम स्तर पर आ गया है। इसे इन्सैंटिव देते हुए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 
-अमरीक सिंह, नैक्सो इंडस्ट्री

जी.एस.टी. में न्यूनतम टैक्स स्लैब में लिए जाने की जरूरत 
एम.एस.एम.ई. सैक्टर से जुड़ी फास्टनर इंडस्ट्री को जी.एस.टी. में न्यूनतम टैक्स स्लैब में कवर किया जाए, क्योंकि इस सैक्टर की इकाइयों में प्रोफिट मार्जिन कम होने से यह टैक्स का ज्यादा बोझ झेल नहीं पाएगी। टैक्सों के ज्यादा बोझ के चलते जालंधर में 400 इकाइयों में से सिर्फ 108 इकाई रह गई हैं। 
-अश्विनी सोनी, सोनी इंडस्ट्रीज, जालंधर

टैक्नोलॉजी अपगे्रडेशन के लिए 6 प्रतिशत पर मिले कैपिटल
सी.एन.सी. के दौर में उत्पादन क्षमता के दृष्टिकोण से विश्व बाजार में भारतीय नट-बोल्ट कम्पनियां चाइना से मार खा रही हैं। 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक में उपलब्ध सी.एन.सी. मशीनों से युक्त होने के लिए घरेलू नट-बोल्ट इंडस्ट्री को 6 प्रतिशत दर पर कैपिटल उपलब्ध करवाए जाने की जरूरत है।  
-हितेष नागपाल, कैपिटल हार्डवेयर


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News