अगस्त में बिजली मांग सुधरकर कोविड-19 के पहले स्तर के 98 प्रतिशत पर पहुंची: ICRA

punjabkesari.in Thursday, Sep 03, 2020 - 01:22 PM (IST)

मुंबई: ग्रामीण इलाकों में सुधार के साथ देश में बिजली की मांग अगस्त माह में बढ़कर कोविड-19 के पहले के स्तर के करीब 98 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह कहा है। अखिल भारतीय स्तर पर बिजली मांग में सुधार उत्तरी और पूर्वी राज्यों में मांग बढ़ने का परिणाम है। सालाना आधार पर जुलाई महीने में मांग में 6 से 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

कोविड-19 के पहले के स्तर से कम
रेटिंग एजेंसी ने कहा मांग में वृद्धि का मुख्य कारण ग्रामीण खपत में सुधार है। हालांकि, यह अभी भी कोविड-19 के पहले के स्तर से कम है। औद्योगक गतिविधियों में धीमी गति से पुनरूद्धार के कारण बड़े औद्योगिक राज्यों में बिजली मांग में जुलाई 2020 में सालाना आधार पर 6 से 15 प्रतिशत की गिरावट रही। साथ ही अगस्त 2020 में अखिल भारतीय स्तर पर मांग में सुधार की गति धीमी रही है। पिछले साल के इसी माह के मुकाबले मांग कम रही।

लॉकडाउन से बिजली मांग में 13.1 प्रतिशत की कमी
इक्रा के क्षेत्र प्रमुख और उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट रेटिंग) गिरीश कुमार कदम ने कहा कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में अखिल भारतीय स्तर पर बिजली मांग में 13.1 प्रतिशत की कमी आयी।  उन्होंने कहा कि हालांकि, मासिक मांग अप्रैल 2020 में 85 अरब यूनिट से बढ़कर जुलाई 2020 में 112 अरब यूनिट हो गयी, लेकिन सालाना आधार पर यह कम है। बिजली की अधिकतम मांग अप्रैल 2020 में 1,33,000 मेगावाट से बढ़कर जुलाई 2020 में 1,71,000 मेगावाट हो गयी। लेकिन जुलाई 2019 के मुकाबले यह 3.3 प्रतिशत कम है।

करीब 5-6 प्रतिशत कम रह सकती है
उन्होंने कहा इसका कारण कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश के कई भागों में फिर से ‘लॉकडाउन’ लगाया जाना भी है। प्रमुख राज्यों में ऊर्जा की मांग की प्रवृत्ति को देखते हुए 2020-21 में अखिल भारतीय स्तर पर बिजली की मांग 2019-20 के मुकाबले करीब 5-6 प्रतिशत कम रह सकती है। इक्रा के अनुसार औद्योगिक और वाणिज्यिक ग्राहकों की बिजली मांग कम हुई जो उच्च शुल्क देते हैं। इसको देखते हुए मांग में कमी से बिजली वितरण कंपनियों राजस्व और नकद प्राप्ति पर प्रतिकूल असर पड़ा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा अखिल भारतीय स्तर पर वितरण कंपनियों के लिये राजस्व में अंतर बढ़कर 2020-21 में करीब 42,000 से 45,000 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है।


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rajesh kumar

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