1 अक्तूबर से घट जाएगा ई-वे बिल का बोझ

punjabkesari.in Saturday, Sep 29, 2018 - 05:25 AM (IST)

नई दिल्ली: माल के ट्रांसपोर्टेशन पर अनिवार्य ई-वे बिल के अनुपालन में 1 अक्तूबर से और आसानी हो जाएगी। हालिया कानूनी संशोधनों के बाद सरकार ने इसके फॉर्म में भी कई बदलाव किए हैं, वहीं करीब आधा दर्जन राज्यों में इंट्रास्टेट गुड्स मूवमैंट पर जॉब वर्क  वाले सामान की ढुलाई इससे मुक्त हो जाएगी। 

सरकार ने ई-वे बिल जैनरेट करने के नए फॉर्म का प्रारूप जारी कर दिया है, जो सोमवार से प्रभावी होगा। इसमें जहां कई गैर-जरूरी दस्तावेजों और सूचनाओं में कटौती की गई है, वहीं हालिया संशोधनों के अनुपालन के लिए कुछ नई एंट्रीज भी जोड़ी गई हैं। जी.एस.टी.एन. के एक अधिकारी ने बताया कि ‘ट्रांजैक्शन टाइप’ के आधार पर ‘डॉक्यूमैंट टाइप’ वाले ड्रॉप डाऊन में दस्तावेजों की संख्या सीमित कर दी गई है। कंसाइनर और कंसाइनी की ओर से दिए गए पते में पिन कोड के आधार पर ही राज्य और शहर का नाम ऑटोपॉपुलेट होगा। 

टैक्स कैलकुलेशन के लिए टैक्स के स्टैंडर्ड रेट का ड्रॉप डाऊन भी जोड़ा गया है। सैस वगैरा के लिए अब एक अतिरिक्त फील्ड होगा। 10 करोड़ रुपए से ज्यादा वैल्यू वाली सप्लाई पर फॉर्म जैनरेट करते ही कंसाइनर और कंसाइनी को एस.एम.एस. अलर्ट जाएगा और ऑनलाइन पॉपअप भी खुलेगा। जहां ट्रांसपोर्टर्स को कुछ नई रियायतें दी गई हैं, वहीं अब ई-वे बिल का पार्ट-1 स्लिप जैनरेट करने के लिए ट्रांसपोर्टर का आई.डी. अटैच करना अनिवार्य होगा। 

नए प्रावधानों के तहत अगर ट्रेडर ट्रांसपोर्टर के गोदाम को अपना अडिशनल प्लेस ऑफ बिजनैस घोषित कर देता है तो माल गोदाम तक पहुंचते ही ट्रांसपोर्टेशन खत्म माना जाएगा और उसके बाद ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल की वैलिडिटी बढ़वाने की जरूरत नहीं होगी। इसी तरह अब छोटी-मोटी गलतियों के लिए अधिकतम जुर्माना 1000 रुपए तय कर दिया गया है। इससे बीच रास्ते में अफसरों की मनमानी खत्म होगी। ई-वे बिल के नए फॉर्मैट में ज्यादा ऑटोपॉपुलेटेड फील्ड जोड़कर एंट्रीज का बोझ कम किया गया है।


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Pardeep

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