निफ्टी 50 इंडेक्स में IT-फार्मा का दबदबा घटा, घरेलू मांग वाले क्षेत्र बने नए सितारे
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 01:34 PM (IST)

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क और टैरिफ की वजह से भारत से अमेरिका को निर्यात करना महंगा और कठिन हो गया है। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है। निफ्टी 50 सूचकांक में आईटी सेवा और फार्मा उद्योग का कुल भार घटकर 12.3 प्रतिशत रह गया है, जो पिछले 25 साल में सबसे कम है। मार्च 2022 में इन दोनों क्षेत्रों का भार 22 प्रतिशत था।
वहीं, खुदरा, खाद्य वितरण, दूरसंचार, विमानन और अस्पताल जैसी घरेलू मांग आधारित क्षेत्रों का भार तेजी से बढ़ा है। अब ये क्षेत्र निफ्टी 50 में कुल 12.9 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं, जबकि मार्च 2022 में यह केवल 4.8 प्रतिशत और मार्च 2015 में 2.4 प्रतिशत था। बैंकिंग, वित्त और बीमा (BFSI) का सेक्टर अभी भी 35.3 प्रतिशत के साथ सूचकांक में सबसे बड़ा खंड बना हुआ है।
वाहन क्षेत्र में भी तेजी देखने को मिली है। मार्च 2025 में इसका भार 7.7 प्रतिशत तक बढ़ गया, जबकि मार्च 2024 में यह 7.9 प्रतिशत था। इसी तरह, भारती एयरटेल का सूचकांक में भार दिग्गज फार्मा कंपनियों सिप्ला, डॉ. रेड्डीज लैब और सन फार्मास्युटिकल्स से अधिक हो गया है। मार्च 2022 में इसका भार 2.3 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गया है।
नए खिलाड़ी भी सूचकांक में शामिल हुए हैं। इटर्नल, जो जोमैटो और ब्लिंकइट की प्रवर्तक कंपनी है, अब गैर-व्यापार योग्य क्षेत्र में दूसरे सबसे बड़े खिलाड़ी के रूप में उभरी है। इसका भार 2.6 प्रतिशत है, जो टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स और अन्य दिग्गज कंपनियों से अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पारंपरिक क्षेत्रों जैसे IT, BFSI, फार्मा, FMCG, धातु और तेल-गैस में आय और मुनाफा वृद्धि धीमी होने के कारण इनका सूचकांक में भार घटा है। सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख शोध एवं इक्विटी स्ट्रैटजी धनंजय सिन्हा के अनुसार, ये कंपनियां शेयर बाजार में पिछड़ रही हैं, जबकि घरेलू मांग वाले क्षेत्र मजबूत उभर रहे हैं।