बजट में महिलाओं को न भूले सरकार

punjabkesari.in Monday, Feb 08, 2016 - 09:32 AM (IST)

नई दिल्ली : उद्योग मंडल ऐसोचैम ने कहा कि सरकार के 29 फरवरी को पेश होने वाले बजट में और 
 
अधिक महिलाओं को श्रमबल में आने के संबंध में प्रोत्साहित करने के लिए बच्चों के शिक्षा भत्ते में 10 
 
गुना वृद्धि की घोषणा करनी चाहिए और पालनागृह (क्रेश) सुविधा के लिए कर छूट मुहैया करनी 
 
चाहिए।
 
एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि करदाताओं के हाथ ज्यादा पैसे छोडऩे 
 
का सकारात्मक असर होता है लेकिन बजट में विशेष तौर पर महिलाओं से जुड़े कई प्रस्ताव लाए जा सक
 
ते हैं, ताकि उन्हें आर्थिक तौर पर सशक्त बनाया जा सके।’’ 
 
उन्होंने कहा की पारिवारिक आय में योगदान करने के लिए और अधिक महिलाएं रोजगार बाजार में आ 
 
रही हैं। इकहरे परिवारों की बढ़ती संख्या के कारण कामकाजी महिलाओं को छोटे बच्चों की देखभाल में 
 
मदद की जरूरत होती है, जब वे काम पर होती हैं।
 
  एसोचैम ने दिए ये सुझाव:
 
. व्यवसायिक क्रेच के लिए भी टैक्स छूट की व्यवस्था होनी चाहिए। 
 
. हर बच्चे के लिए 2,500 रुपए प्रति माह (अधिकतम 2 बच्चे तक) एजुकेशन अलाऊंस (शिक्षा 
 
भत्ता) मिले। 
 
. शिक्षा भत्ता छूट की सीमा मौजूदा 100 रुपए से बढ़ाकर 1,000 रुपए प्रति माह की जानी चाहिए।
 
. हास्टल खर्च भत्ता पर छूट बढ़ाकर 3,000 रुपए प्रति माह (अधिकतम 2 बच्चों तक) की जानी चाहि
 
ए। अभी यह छूट 300 रुपए तक है।
 
. चिकित्सा खर्च अदायगी की सीमा मौजूदा 15,000 से बढ़ाकर कम से कम 50,000 रुपए प्रति माह कि
 
या जाना चाहिए। 
 
. रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए भी विशेष प्रावधान किए जाने की जरूरत है। 
 
 
बजट सत्र में होगी मजदूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल
 
सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों का  विरोध करते हुए देशभर के मजदूर संगठनों ने संसद के 
 
बजट सत्र के दौरान 10 मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। मजदूर संगठनों का कहना है 
 
कि मजदूरों के कल्याण के संबंध में सरकार के निर्णय और कार्रवाई उसके वादों के अनुरूप नहीं है और 
 
श्रमिक सुरक्षा संबंधी उपायों को कमतर किया जा रहा है। 
 
ये संगठन श्रम सुधारों से संबंधित कई विधेयकों का विरोध कर रहे है। संसद के आगामी सत्र में सरकार 
 
की योजना श्रम कानूनों में ढील देने वाले कई विधेयक पारित कराने की है जिनमें कारखाना 
 
अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और मजदूरी संबंधी अधिनियम शामिल हैं। 
 

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