थके हुए पायलट उड़ा रहे विमान, DGCA ने गोएयर को लगाई लताड़
punjabkesari.in Tuesday, Dec 24, 2019 - 11:54 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः पायलटों के थके होने की वजह से मई 2010 में मैंगलोर एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 158 लोगों की जान गई थी। इस घटना के बाद भी गोएयर ने सबक नहीं सीखा था। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने पायलटों और केबिन क्रू को तय समय से ज्यादा काम कराने के लिए गोएयर को लताड़ लगाई है। जानकारी के अनुसार, इस मामले की जांच भी शुरू हो गई है। गोएयर एयरलाइन को सभी तरह की गड़बड़ियों को दूर करने को कहा गया है।
40 उल्लंघनों की बात सामने आई
DGCA से मिली जानकारी के अनुसार, एयरलाइन ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि एयरलाइन के क्रू मेंबर्स और पायलट्स को लगातार चार रातों में उड़ान भरनी पड़ी। एयरलाइन के करीब 40 उल्लंघनों की बात सामने आई है। पायलट्स और क्रू मेंबर्स की संख्या ना होने की वजह से बीते एक हफ्ते से एयरलाइन फ्लाइट्स कैंसिल कर रही है।
पिछले हफ्तेभर से यह एयरलाइन फ्लाइट्स कैंसल कर रही है। सोमवार को भी पायलटों के उपलब्ध न होने के कारण करीब 18 डोमेस्टिक फ्लाइट्स को कैंसल किया गया। पायलटों और केबिन क्रू के वर्किंग आवर के बारे में FDTL गाइडलाइंस बनाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ये लोग थकान के शिकार न हों और उड़ानें सुरक्षित रहें।
इसलिए बनाए गए हैं नियम
बताया जा रहा है कि एयरलाइन ने FDTL के तहत तय टाइम लिमिट्स का उल्लंघन किया। विमानन क्षेत्र के ऐनालिस्ट्स ने कहा कि इस मामले में शामिल एयरलाइन और क्रू मेंबर्स को दंड मिलना चाहिए। दो भारतीय विमानन कंपनियों के ऑपरेशंस हेड रहे और पूर्व पायलट शक्ति लुंबा ने कहा, 'FDTL के नियमों का उल्लंघन गंभीर मामला है। इससे एयरलाइन के कामकाज में सुरक्षा पर आंच आती है।' उन्होंने कहा, 'ये नियम इसलिए बनाए गए हैं कि क्रू मेंबर थकान के शिकार न हों और इस तरह सुरक्षा पर आंच न आए। थका हुआ पायलट ठीक से फ्लाइट संभाल नहीं सकेगा। DGCA को एयरलाइन और इस मामले से जुड़े पायलटों-केबिन क्रू पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।'
पायलटों की कमी
FDTL में यह बताया गया है कि एक दिन, एक सप्ताह या एक महीने में कितने अधिकतम घंटों तक उड़ान पायलट भर सकता है। भारतीय विमानन कंपनियों के पास पायलटों की कमी है। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, देश में करीब 8,000 पायलट हैं और अगले 10 वर्षों में करीब 17000 और पायलटों की जरूरत होगी।