भारत के 97% ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न, उपभोक्ताओं ने दर्ज की शिकायतें
punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 11:40 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत में संचालित 290 प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स में से 97% पर डार्क पैटर्न पाए गए हैं, जो उपभोक्ताओं द्वारा रिपोर्ट किए गए और लोकल सर्कल्स द्वारा सत्यापित हैं। उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हाल ही में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा कि उनके विभाग को कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ शिकायतें मिली हैं, जिनमें कैश ऑन डिलीवरी पर अतिरिक्त शुल्क जैसी भ्रामक प्रथाओं का इस्तेमाल किया गया।
मंत्री की यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब लोकल सर्कल्स ने इस मुद्दे पर अपनी तिमाही ऑडिट रिपोर्ट जारी की, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि भारत में अधिकांश ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपभोक्ताओं द्वारा रिपोर्ट किए गए डार्क पैटर्न पाए गए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने वाले 48% उपभोक्ताओं ने बताया कि उन्होंने अक्सर 'बेट एंड स्विच' जैसी स्थिति का सामना किया है यानी जिस उत्पाद, सेवा या कीमत का विज्ञापन किया गया था, वह डिलीवरी के समय अलग निकली। वहीं, 75% उपभोक्ताओं ने बताया कि उन्होंने अक्सर ड्रिप प्राइसिंग का अनुभव किया यानी अंतिम चरण में बिना पहले बताए अतिरिक्त शुल्क जोड़ दिए गए।
इस सर्वे में कुल 11,626 लोगों ने उत्पाद या कीमत डिलीवरी के समय अलग होने के अनुभव के बारे में प्रतिक्रिया दी। इनमें से 41% ने कहा कि कई बार ऐसा हुआ, 26% ने बताया कि कम ही बार ऐसा हुआ, जबकि 19% का कहना था कि उन्हें इसका अनुभव नहीं हुआ। 7% ने कहा कि उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया और 7% ने कहा कि बहुत बार उन्हें प्रोडक्ट या कीमत डिलीवरी के समय अलग मिली।
सर्वे में 17,558 लोगों ने ई-कॉमर्स ऐप या वेबसाइट पर अंतिम समय में अतिरिक्त शुल्क जोड़ने के अनुभव के बारे में प्रतिक्रिया दी। इसमें 67% ने कहा कि यह बहुत बार हुआ, 17% ने बताया कि ऐसे मामले कम ही आए, 8% ने कहा कि कई बार ऐसा हुआ और 8% का कहना था कि उन्हें इसका अनुभव नहीं हुआ। यह सर्वे स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भारत में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न प्रचलित हैं और उपभोक्ताओं की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
डार्क पैटर्न क्या है?
डार्क पैटर्न ऐसे भ्रामक डिज़ाइन या प्रैक्टिस हैं, जिनका उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनजाने में अतिरिक्त खर्च या गलत निर्णय लेने पर मजबूर करना होता है। इसमें 'बेट एंड स्विच' और 'ड्रिप प्राइसिंग' जैसी तकनीकें शामिल हैं।