बड़ी कार्रवाई की तैयारी में केंद्र सरकारः बन रही साइबर ठगों की कुंडली, बैंकों में होंगे ब्लैक लिस्टेड
punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2024 - 11:55 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः साइबर ठग अब बैंकिंग सेवाओं को इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। केंद्र सरकार इसके लिए एक केंद्रीय रजिस्ट्री तैयार कर रही है, जिसमें ऐसे ठगों की काली सूची होगी। इससे देश के वित्तीय संस्थान साइबर ठगों को प्रतिबंधित कर सकेंगे। वित्त और गृह मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहे हैं। यह व्यवस्था जल्द लागू हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, इस रजिस्ट्री से ऐसे खातों व लोगों का पता लगाने में मदद मिलेगी, जो वित्तीय धोखाधड़ी करने में लिप्त हैं।
इसलिए पड़ी जरूरत
अभी अगर कोई साइबर ठग लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है और एक बैंक खाते में यूपीआई के माध्यम से धन प्राप्त करता है, तो उसके लिए इस धन को कई दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर करना काफी आसान है। चूंकि, वित्तीय संस्थानों के पास कोई केंद्रीकृत डेटा उपलब्ध नहीं है, इसलिए धोखेबाजों की ओर से इस तरह का पैसा ट्रांसफर बड़े पैमाने पर होता है। यदि कोई बैंक या वित्तीय संस्थान इनकी पहचान करके कार्रवाई करता भी है तो ये अपराधी अन्य बैंकों या वित्त संस्थानों में चले जाते हैं। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए सरकार नई पहल कर रही है।
ठगों की पहचान होगी आसान
नई व्यवस्था में यदि कोई जालसाज एक बैंक से दूसरे बैंक में मनी ट्रांसफर करता है तो बैंकों के लिए इस लेनदेन और उस व्यक्ति की पहचान करना आसान हो जाएगा। चूंकि, ये जालसाज पहले से ही काली सूची में शामिल होंगे, इसलिए इस ट्रांसफर को तुरंत रोक दिया जाएगा। साथ ही जालसाज को भविष्य में देश में कहीं भी बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं का इस्तेमाल के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
जांच एजेंसियां डेटा करेंगी शेयर
इस केंद्रीय रजिस्ट्री में सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियां गृह मंत्रालय और बैंक सहित अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ डेटा शेयर करेंगी। दरअसल, गृह मंत्रालय साइबर से जुड़े अपराधों से निपटता है। इसका भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) इन साइबर शिकायतों पर नजर रखता है। माना जा रहा है कि सरकार इस बजट में साइबर अपराधों से निपटने के लिए आवंटन बढ़ा सकती है।
यह होगा फायदा
- इस रजिस्ट्री में साइबर अपराधी या जालसाज का नाम, पैन और आधार नंबर, बैंक खाता संख्या और अन्य विवरण दर्ज होंगे।
- संबंधित खाते (जिसमें धोखाधड़ी की रकम आई ये भेजी गई है) के साथ जुड़े आधार नंबर और पैन कार्ड को भी काली सूची में डाल दिया जाएगा। इससे अपराधी दूसरा खाता नहीं खुलवा पाएंगे।
- इससे संबंधित जालसाजों के खिलाफ साइबर अपराध मामले में तेजी से कार्रवाई शुरू हो पाएगी।