चावल की कुछ किस्मों के लिए एचएसएन कोड विकसित करने पर विचार: आधिकारी

punjabkesari.in Wednesday, Feb 14, 2024 - 11:44 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार चावल की कुछ किस्मों के लिए नए एचएसएन कोड विकसित करने पर विचार कर रही है ताकि उन किस्मों का निर्यात किया जा सके जिनका पारंपरिक रूप से देश में लोग उपभोग नहीं करते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। वर्तमान में गैर-बासमती सफेद चावल की सभी किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की प्रस्तुति के अनुसार, लाल चावल, काले चावल और कालानमक चावल जैसी जीआई (भौगोलिक संकेतक) दर्जे वाले चावल की किस्मों के लिए अलग-अलग एचएसएन कोड पर काम जारी है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार की भाषा में प्रत्येक उत्पाद को एचएसएन कोड (हारमोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर) के तहत वर्गीकृत किया जाता है। यह दुनिया भर में वस्तुओं के व्यवस्थित वर्गीकरण में मदद करता है। 

वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि गैर-बासमती चावल की करीब 40-50 किस्में होती हैं। सरकार जब उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाती है, तो सोना मसूरी, गोविंद भोग, कालानमक या सामान्य सफेद गैर-बासमती चावल जैसी सभी किस्मों का निर्यात बंद हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘चावल की कुछ अन्य किस्मों के लिए नया एचएसएन कोड उद्योग की मांग है... इसमें अंतर कैसे करें यह आंतरिक बहस का मुद्दा है...।'' 

अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं ऐसा करने की कोई जरूरत है या नहीं क्योंकि एक ओर हम एक देश के तौर पर चावल पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहेंगे, जिसको लेकर कोई चिंता नहीं है। हालांकि साथ ही हमें यह भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि किसानों को चावल की सामान्य किस्मों का भी उत्पादन जारी रखने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन मिले जो देश का मुख्य आहार है।'' अग्रवाल ने कहा कि इसमें संतुलन बनाने की जरूरत है और यह निर्णय मंत्रालय संबंधित पक्षों से परामर्श के बाद लेगा। 

वर्तमान में गैर-बासमती चावल के लिए छह एचएसएन कोड और बासमती चावल के लिए एक कोड है। चावल, चीनी और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण कृषि-निर्यात में नौ प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा की पहल के बारे में उन्होंने कहा कि इससे निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पाद तथा उनके गंतव्यों का विस्तार हुआ है। भारत ने सिंघाड़े और मखाने जैसी वस्तुओं का निर्यात भी शुरू कर दिया है। अतिरिक्त सचिव ने कहा, ‘‘यह कृषि क्षेत्र को काफी मजबूती देता है।''  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News