GST rates Change: महंगे हो सकते हैं कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट और तंबाकू, GST में आ सकता है 35% का नया स्लैब

punjabkesari.in Tuesday, Dec 03, 2024 - 10:48 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट और तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर जीएसटी की दर को मौजूदा 28% से बढ़ाकर 35% करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह कदम जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के उद्देश्य से एक मंत्री-समूह द्वारा सुझाया गया है। इस समूह की अध्यक्षता बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी कर रहे हैं।

मंत्री-समूह की बैठक में लिए गए फैसलों पर जीएसटी परिषद अंतिम फैसला करेगी। मंत्री-समूह जीएसटी परिषद को कुल मिलाकर 148 वस्तुओं पर कर दरों में बदलाव का प्रस्ताव देगा। एक अधिकारी ने कहा, ‘इस कदम का शुद्ध राजस्व प्रभाव सकारात्मक होगा।’ 

इन उत्‍पादों पर 35% टैक्‍स लगाने पर सहमति

अधिकारी ने कहा, 'मंत्री-समूह ने तंबाकू और उससे बने उत्पादों के अलावा एयरेटेड पेय पदार्थों (कोल्ड ड्रिंक) पर 35 फीसदी की विशेष दर लगाने पर सहमति जताई है।' अधिकारी ने कहा कि 5, 12, 18 और 28 फीसदी की चार-स्तरीय कर स्लैब जारी रहेगा। जीओएम की ओर से 35 फीसदी की नई दर प्रस्तावित की गई है।

इसके साथ ही जीओएम ने 1,500 रुपए तक की लागत वाले रेडीमेड कपड़ों पर पांच फीसदी जीएसटी लगाने की बात कही है। जबकि 1,500 रुपए से 10,000 रुपए के मूल्य वाले कपड़ों पर 18 फीसदी और 10,000 रुपए से अधिक लागत वाले कपड़ों पर 28 फीसदी टैक्‍स लगेगा।

21 दिसंबर को GST परिषद की बैठक में फैसले की उम्‍मीद

मंत्री समूह की रिपोर्ट पर 21 दिसंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा किए जाने की उम्मीद है। परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी और इसमें राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल होंगे। जीएसटी दर में बदलाव पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद ही लेगी।

इस बीच जीएसटी मुआवजा उपकर पर गठित जीओएम ने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए जीएसटी परिषद से लगभग छह महीने का और समय दिए जाने की मांग करने का फैसला किया है। समूह को 31 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपनी थी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में इस जीओएम का गठन किया गया था। इसमें असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के सदस्य शामिल हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘जीओएम ने फैसला किया कि मुआवजा उपकर मामले में कई कानूनी मुद्दे शामिल हैं। कानून के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जानी है, जिसमें समय लगेगा। परिषद को रिपोर्ट जमा करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करने का निर्णय लिया गया है।’ ऐसी स्थिति में यह मंत्री-समूह पांच से छह महीने का और समय मांग सकता है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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