UN की रिपोर्ट में दावा- ‘ब्लैक मनी रोकने के लिए नोटबंदी नाकाफी’

punjabkesari.in Thursday, May 11, 2017 - 10:06 AM (IST)

नई दिल्ली: भारत में ब्लैक मनी पर रोक लगाने के लिए केवल नोटबंदी से ही काम नहीं होगा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यूनाइटेड नेशन (यू.एन.) की इकोनॉमिक एंड सोशल सर्वे ऑफ एशिया एंड पैसिफिक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अनुमानित ब्लैक मनी देश की ग्रॉस डोमैस्टिक प्रोडक्शन (जी.डी.पी.) की 20 से 25 प्रतिशत के आसपास हो सकती है। इनमें वैल्यू के लिहाज से कैश का हिस्सा सिर्फ 10 प्रतिशत के ही आसपास है। ऐसे में नोटबंदी ब्लैक मनी पर पूरी तरह से कंट्रोल करने का उपाय नहीं हो सकती है। इसके लिए सरकार को दूसरे उपायों पर विचार करना होगा।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि नोटबंदी सभी तरह की ब्लैक मनी पर कंट्रोल करने के लिए काफी साबित नहीं हुई। कैश के अलावा दूसरी तरह की संपत्ति के रूप में भी लोगों के पास अघोषित संपत्ति है। यू.एन. की रिपोर्ट के मुताबिक प्रॉपर्टी के पंजीकरण (एस्टेट रजिस्ट्रेशन) की प्रक्रिया में बदलाव करने की जरूरत है जिससे कि प्रॉपर्टी में निवेश को लेकर पारदर्शिता आए। वहीं पारदर्शिता के लिए सभी तरह के टैक्स, आय घोषणा स्कीम और करदाता पहचान संख्या के माध्यम से ऊंचे मूल्य के लेन-देन पर नजर शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नोटबंदी के दौर में कैश के विकल्पों को लेकर बढ़ी जागरूकता और सरकार की ओर से डिजीटल भुगतान को प्रोत्साहन दिए जाने से कैशलैस लेन-देन बढ़ने की संभावना है।

अब देखने का समय, हमने क्या हासिल किया: कौशिक बसु
इस बीच प्रख्यात अर्थशास्त्री व वित्त मंत्रालय में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने ट्वीट करके कहा कि नोटबंदी को 6 माह बीत चुके हैं। अब यह देखने का समय आ गया है कि हमने इससे क्या हासिल किया? बता दें कि सरकार ने 6 माह पहले यानी कि 8 नवम्बर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके बाद 500 व 1000 रुपए के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार के इस कदम के बाद लगभग 87 प्रतिशत नकदी एक झटके में चलन से बाहर हो गई थी। सरकार ने लोगों को यह विकल्प दिया था कि वे पुरानी करंसी बैंकों में जमा करवा दें। सरकार ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट के बदले 500 और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए थे।


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