धान कुटाई के भुगतान में गड़बड़

punjabkesari.in Wednesday, Dec 09, 2015 - 12:44 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने धान की कुटाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए भुगतान करीब 50,000 करोड़ रुपए की प्रक्रियात्मक अनियमिमता का खुलासा किया है। यह भुगतान कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सत्तासीन रहने दौरान 2009-2010 से 2013-14 के बीच किया गया।

संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि इसी अवधि के दौरान भुगतान में विभिन्न अनियमितताओं के कारण खाद्य सब्सिडी संबंधी अनियमितता हुई, जो धान की कुटाई करने वाली मिलों को भुगतान में हुई।

सरकार ने मिल मालिकों को धान की कुटाई के लिए 48 रुपए प्रति क्विटंल की दर से भुगतान किया, जिस चावल की बिक्री सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत किया जाना था। इस शुल्क का भुगतान या तो भारतीय खाद्य निगम या राज्यों सरकार द्वारा किया गया। इसमें से करीब 33 रुपए प्रति क्विंटल की छूट उप उत्पादन शुल्क के रुप में दी गई, जबकि शेष का भुगतान मिल मालिकों को किया गया। सीएजी के ऑडिट में पहली बार धान की कुटाई पर लगने वाले शुल्क पर केंद्र सरकार के खर्च की जांच की गई है। सीएजी ने पाया है कि उप उत्पादों का असल मूल्य धान की कुटाई के बाद छोड़ दिया गया, जो सरकार द्वारा 33 रुपए प्रति क्विंटल छूट से बहुत ज्यादा था। इसकी वजह से 2009-2010 से 2013-14 के बीच आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के मिल मालिकों ने इन उप उत्पादों के बेचकर 3,743 करोड़ रुपए बनाए हैं।


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