Diamond Industry में बड़ा बदलाव, हीरों की सही पहचान के लिए अहम कदम उठाने की तैयारी में सरकार
punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2024 - 06:17 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः ग्राहकों को नेचुरल और लैब में तैयार किए गए हीरों के बीच के फर्क को समझने में हो रही उलझन को दूर करने के लिए सरकार अब कदम उठा रही है। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) इस मामले में नए दिशानिर्देश जारी करने जा रही है। इन दिशा-निर्देशों के तहत हीरों की सही लेबलिंग के साथ-साथ सभी प्रकार के हीरों के ऑरिजिन (उत्पत्ति) और प्रोडक्शन के तरीकों की जानकारी देना अनिवार्य किया जा सकता है। इसके साथ ही लैब में तैयार किए गए हीरों के लिए 'नेचुरल' या 'जेनुइन डायमंड' जैसे शब्दों के इस्तेमाल की मनाही भी होगी।
CCPA की बैठक में चर्चा
CCPA ने इस मुद्दे पर चीफ कमिश्नर निधि खरे की अध्यक्षता में डायमंड इंडस्ट्री और विशेषज्ञों के साथ बैठक की। बैठक में एक अधिकारी ने बताया कि नेचुरल डायमंड और लैब-ग्रोन डायमंड के बीच अंतर की सही जानकारी न होने से ग्राहकों के हितों का उल्लंघन हो रहा है। अधिकारी का कहना था कि पारदर्शिता को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए CCPA जल्द ही गाइडलाइंस जारी करेगा।
ग्राहकों के हित में लेबलिंग की जरूरत
जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के नॉर्दर्न रीजन के चेयरमैन अशोक सेठ ने कहा कि कई बार ग्राहक नेचुरल डायमंड समझकर लैब-ग्रोन डायमंड खरीद लेते हैं और उन्हें बाद में यह महसूस होता है कि इनका मूल्य नेचुरल डायमंड जितना नहीं होता। उन्होंने कहा कि सही लेबलिंग से इंडस्ट्री और उपभोक्ता दोनों के हितों की रक्षा हो सकेगी।
ठोस फ्रेमवर्क की तैयारी
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने यह स्पष्ट किया है कि शब्द 'डायमंड' का उपयोग केवल नेचुरल डायमंड के लिए किया जाना चाहिए। वहीं सिंथेटिक डायमंड की नेचुरल डायमंड जैसे ग्रेडिंग की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स के नियमों के अनुसार, लैब-ग्रोन डायमंड के उत्पादन के तरीके को भी स्पष्ट रूप से बताना जरूरी है।
CCPA की बैठक में इन सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया और अब इस दिशा में एक ठोस फ्रेमवर्क बनाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि उद्योग में पारदर्शिता और ग्राहकों के विश्वास को बढ़ाया जा सके।